भास्कर संवाददाता| हाेशंगाबाद
श्री सवाकराेड़ शिवलिंग निर्माण अाैर रुद्राभिषेक अनुष्ठान की शिव बारात साेमवार काे निकली। श्री िवद्याललितांबा समिति के तत्वावधान में अायाेजित चल समाराेह में जन्म से मृत्यू तक जीवन के अलग-अलग पड़ाव की स्थिति समझाने के लिए विशेष झांकियां सजाई गईं। अाचार्य साेमेश परसाई ने बताया शिक्षा सैद्धांतिक अाैर प्रायाेगिक दाे प्रकार की हाेती है। जब प्रयाेग के माध्यम से समझाया जाता है तब हर उम्र अाैर वर्ग का व्यक्ति इसे अासानी से समझ जाता है। शिव बारात में शिव से शिव तक जीवन यात्रा अाैर उसके लक्ष्य काे बताया गया। यात्रा में पहले से अंतिम छाेर तक नृत्य, उत्सव अाैर उत्साह का माहाैल था, जाे संदेश देता है कि जीवन यात्रा में उत्साह बना रहना जरूरी है। यात्रा का समापन सेठानी घाट पर विसर्जन पूजा के साथ हुअा।
होशंगाबाद। 5वें चरण में शमशानवासी शिव की झांकी सजाई गई।
गुरु ने किया शोभायात्रा का मार्गदर्शन
यात्रा में शामिल श्रद्धालुअाें ने बताया बाल्यावस्था से अंतिम चरण तक के जीवन यात्रा काे सफलता से चलाने के लिए ज्ञान अाैर शिक्षा जरूरी है। ज्ञान का मूल माध्यम गुरु हैं। इसलिए चल समाराेह की जीवन यात्रा थीम काे पूरा करने यात्रा की शुरुअात में गुरु के मार्गदर्शन का महत्व बताने अाचार्य साेमेश परसाई काे बग्गी में यात्रा का नेतृत्व के प्रथम चरण की झांकी के पहले शामिल किया गया।
पांच चरणों में निकली शिव बारात
पहला चरण: साैम्य रूप भगवान शिव : जीवन की शुरुअात साैम्य बाल अवस्था से हाेती है। इसलिए यात्रा की शुरुअात में शिव के साैम्य रूप की झांकी थी, जिसके अागे श्रद्धालु परिवार के बच्चे नृत्य कर रहे थे।
दूसरा चरण: राम दरबार : जब अायु बढ़ती है ताे परिवार, शिक्षा, संस्कार अाैर संघर्ष शुरु हाेता है। झांकी के दूसरे चरण में राम दरबार सजाया गया। जिसके अागे परिवार में शिक्षा अाैर संस्कार देने वाली महिलाएं चल रहीं थीं।
तीसरा चरण: सत्संग एकाग्रता : परिपक्तवा की अाेर बढ़ती अायु में जीवन के लक्ष्य का ज्ञान हाेता है। भाैतिक लक्ष्य डाक्टर, इंजीनियर, चिकित्सक, व्यवसायी समाज का अंग बनना हाेना चाहिए लेकिन इस लक्ष्य के रास्ते पर चलते हुए सत्संग से एकाग्रता बढ़ाना चाहिए। इसलिए तीसरी झांकी भजन की सजाई गई।
चाैथा चरण: रिद्धी सिद्धी अभिषेक : संस्कार, शिक्षा अाैर मेहनत से जब राम रूपी मनुष्य संघर्ष के वनवास काे पूरा करके सफल हाेता है ताे रिद्धी, सिद्धी सहित सुख समृद्धि के प्रतीक गणेश मनुष्य काे अाशीर्वाद देते हैं। इसलिए चाैथी झांकी गणेश की सजाई गई। जिसके अागे युवा चल रहे थे।
पांचवा चरण: शमशान वासी शिव : जीवन शिव से शुरू हाेकर शिव में ही विलीन हाेता है। इसलिए शिव काे महाकाल कहा गया है। जीवन का सत्य मृत्यु है लेकिन मृत्यु के पहले यह तय करना जरूरी है कि यात्रा में जितने सदस्य शामिल हैं अंतिम यात्रा में उतने ही सदस्य पीछे हाें। इसलिए पांचवी अाैर अंतिम झांकी शमशान वासी शिव की सजाई गई।
शाेभायात्रा में किया नृत्य, जगह जगह हुआ स्वागत
चल समाराेह का शहरवासियाें ने जगह-जगह स्वागत किया। जिला अस्पताल के सामने अशोक दिवोलिया, किशोर दिवोलिया, विजय दिवोलिया, विक्रम, सन्नी, शेट्टी चौकसे, राजेश, संजय, संजू खापरे, नंदू यादव, रामा गौर, चानी दिवोलिया सहित अन्य लाेगाें ने फूल बरसाए।