पन्ना. इसी साल 9 अक्टूबर को पन्ना में मजदूर को मिले 42.59 कैरेट के हीरे की नीलामी शनिवार को हुई। नीलामी में हीरा 2 करोड़ 55 लाख रुपए में बिका है। नीलामी के बाद 13.5 प्रतिशत रॉयल्टी (18 लाख 888) काटकर मजदूर 2 करोड़ 37 लाख रुपए दिए जाएंगे। हीरा झांसी के राहुल नाम के व्यापारी ने खरीदा है। शनिवार को यहां एक मजदूर को 18.13 का हीरा और मिला है। इसकी भी अनुमानित एक करोड़ रुपए बताई जा रही है। इस हीरे की नीलामी के बाद मजदूर को रुपए दिए जाएंगे।
अक्टूबर में मजदूर मोतीलाल को मिला हीरा जिसकी आज नीलामी हुई है इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा हीरा है। इसकी इससे पहले पन्ना में 1961 में रसूल मोहम्मद नामक व्यक्ति को 44.55 कैरेट का हीरा मिला था। मजदूर मोतीलाल ने बताया कि वह पन्ना शहर से करीब 8 किमी दूर पटी गांव में हीरा खदान चलाता है। वह डेढ़ महीने से ये खदान चला रहा था।
बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहता है मोतीलाल: 9 अक्टूबर को खुदाई के दौरान उसे एक हीरा मिला। जब इसकी जेम क्वालिटी निकाली गई तो हीरा 42.59 कैरेट का निकला। मोतीलाल ने कहा कि वे इससे मिलने वाली राशि से अपने माता-पिता की सेवा करना चाहता है और बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है। मोतीलाल ने बताया कि उसके पिता हमेशा उससे कहते थे कि मजदूरी से जीवन नहीं बदल सकते और उनकी सलाह पर ही उसने हीरा की खदान लगाई थी।
नीलामी रखे गए थे 161 कैरेट के हीरे: शनिवार को पन्ना के हीरा खदान अधिकारी कार्यालय में हुई हीरा नीलामी में कुल 161 कैरेट के हीरे रखे गए थे। जो एक से लेकर दस लाख तक में बिके जिला हीरा खदान अधिकारी अनिल शर्मा ने बताया कि नीलामी के दौरान ही एक जिले के पटी गांव के किसान को खेत से जैम क्वालिटी का 18.13 कैरेट का हीरा मिला है। इसकी भी नीलामी जल्द की जाएगी।
पट्टे पर मिलती है खदाने: जिले में हीरे की करीब एक हजार से अधिक उथली खदानें हैं। शर्तों के साथ नीलामी के दौरान इन्हें लीज पर दिया जाता हैं। यहां अवैध तरीके से भी खदाने संचालित की जाती हैं।
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