जब-जब पाप बढ़ता है तब-तब दुष्टों के संहार के लिए भगवान अवतार लेते हैं। रावण को मारने के लिए श्री राम व कंस का वध करने के लिए श्रीकृष्ण के रूप में भगवान ने समय-समय पर अवतार लिए। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाकर इंद्र का अभिमान तोड़ा।
गोंदी पट्टी श्रीराम मंदिर में 7 दिनी संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथावाचक पंडित श्याम शर्मा ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं, गोवर्धन पर्वत का प्रसंग सुनाते हुए यह बात कही। छप्पन भोग का आयोजन किया। पंडित शर्मा ने भगवान कृष्ण की बाल लीला का वर्णन किया। कार्तिक माह में ब्रजवासी इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण गोवर्धन की पूजन करने की बात कहते हैं। इंद्र क्रोध में भारी वर्षा करते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं। श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए राक्षसों का अंत किया। सामाजिक कुरीतियों को मिटाने व निष्काम कर्म के जरिए अपना जीवन सफल बनाने का उपदेश दिया। इस दौरान पंडित जितेंद्र अत्रे, राजेंद्र जोशी, शैलजा पंडित व सैकड़ों भक्त मौजूद थे।
संसार को अंधेरे से प्रकाश में लाने के लिए भगवान कृष्ण ने लिया जन्म
पंडित श्याम शर्मा ने कहा भगवान कृष्ण ने संसार को अंधेरे से प्रकाश में लाने के लिए जन्म लिया। अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञानरूपी प्रकाश से दूर किया। उन्होंने कहा राजा बलि 99 यज्ञ पूरे कर चुका था। 100वां यज्ञ पूरे करने पर वह अजर अमर हो जाता। उसी समय भगवान विष्णु वामन अवतार लेते हैं। राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने जाते हैं। बलि ने वामनजी से उनकी इच्छा अनुसार मांग करने की मंशा जाहिर की। इस पर भगवान वामन ने अपने पैरों से मापकर तीन पग भूमि मांगी। दो पग में चराचर जगत को नाप लिया। राजा बलि से कहा तीसरा पग कहा रखूं। राजा बलि ने कहा मेरे सिर पर रख दो। उसके बाद बलि को विष्णु भगवान ने सुथल लोक दिया। इसके लिए चार माह तक भगवान सुथल लोक में रहते हैं और आठ महीने बैकुंठ लोक में निवास करते हैं।