शहर में नूतन नगर स्थित दाताहनुमानजी का सिंहासन अब चांदी का हो गया है। प्रेमनगर के दो कारिगरों ने 8 माह में 8.50 किलो चांदी से सिंहासन तैयार किया। पहले यह पाषाण का था। एक माह में भगवान की चरण पादुकाएं, छत्र, मुकुट व हाथ में लिया हुआ पहाड़ भी चांदी का हो जाएगा। इसमें 2 किलो चांदी लगेगी। मंदिर समिति व भक्तों ने मिलकर इस पर काम शुरू करवा दिया है। पुजारी गोपालकृष्ण जोशी ने बताया मंदिर मंे रोजाना करीब 1000 भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां पर पशुपतिनाथजी की पाषाण प्रतिमा भी है, जिस पर रोजाना जल चढ़ाया जाता है। श्रीराम, सीता माता, लक्ष्मणजी व गणेश देवता की प्रतिमा भी है।
चांदी के सिंहासन में दाता हनुमानजी विराजित।
26 साल से जल रही अखंड ज्योत
दाता हनुमान मंदिर मंे अखंड ज्योत बीते 26 साल से जल रही है। मंदिर जीर्णोद्धार के दौरान यहां लगे पीपल के पेड़ को भी सुरक्षित रखा गया है। जटाधारी पीपल पर हनुमानजी की छोटी प्रतिमा रखी है, यहां पर लोग जल चढ़ाते हैं।
किवदंती : नहीं उठी तो यहीं स्थापित
कर दी प्रतिमा
किवदंती है कि चार दशक पूर्व हनुमानजी की प्रतिमा घट्टी गांव के प्रकाशचंद्र व्यास के घर के मंदिर मंे स्थापित करने के लिए कसरावद से खरगोन लाई थी। प्रतिमा को गाड़ी से उतारकर नूतन नगर मंे रखा गया लेकिन जब घट्टी गांव वापस ले जाने की बारी आई तो प्रतिमा ग्रामीण व हम्मालों से भी नहीं उठी। प्रकाशचंद्र व्यास ने प्रतिमा की पूजा-अर्चना कर यहीं पर स्थापित कर दिया।