जिले में मसाला फसलों के उत्पादन की अधिकता और बेहतर संभावनाओं को देखते हुए 2015 में तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्रकुमार सिंह ने मसाला बोर्ड का कार्यालय मंदसौर में स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए कई सेमिनार करवाए। कार्यालय के लिए कृषि उपज मंडी में जगह भी तय की गई। राज्य शासन से स्वीकृति के बाद फाइल केंद्र सरकार के उद्यानिकी मंत्रालय तक भी पहुंच गई थी। बावजूद तीन साल में कार्यालय को मंजूरी नहीं मिल सकी। मसाला बोर्ड की सुविधा मिलने की उम्मीद के चलते जिले में मसाला फसलों का रकबा 60 से बढ़कर 68 हेक्टेयर तक पहुंच गया। जिम्मेदार अभी भी प्रयास करने की ही बात कह रहे हैं।
मध्यभारत में मंदसौर जिले में सर्वाधिक मसाला फसलों के उत्पादन व उपयुक्त जलवायु देखते हुए राज्य के उद्यानिकी मंत्रालय ने मसाला बोर्ड के लिए स्वीकृति देते हुए दो साल पहले फाइल केंद्र उद्यानिकी मंत्रालय भिजवाई थी। मसाला बोर्ड गुना के अधिकारियों ने इसके लिए कवायद शुरू की। इसके चलते ही जिले में सेमिनारों का आयोजन शुरू हुआ और किसानों को मसाला फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया गया। उन्हें विदेशों में एक्सपोर्ट करने तक के सपने भी दिखाए गए। तत्कालीन कलेक्टर ने मंदसौर कृषि उपज मंडी में पीछे के गेट की तरफ शेड के ऊपर बना हॉल मसाला बोर्ड कार्यालय के लिए आरक्षित कर दिया लेकिन उनके बदलते ही प्रक्रिया ठप हो गई। दो साल से फाइल केंद्रीय उद्यानिकी मंत्रालय में अटकी है। न तो वहां से कोई जवाब आया न ही यहां से किसी ने पत्राचार किया। सांसद ने शुरू में सोशल मीडिया पर मसाला बोर्ड लाने की प्रक्रिया को लेकर खूब पोस्ट डाली लेकिन दो साल में स्वीकृति के लिए कोई ठोस प्रयास नजर नहीं आया।
तत्कालीन कलेक्टर और मंडी सचिव ने मंडी भवन की ऊपरी मंजिल मसाला बोर्ड का कार्यालय शुरू करने के लिए आरक्षित की गई है।
यह मसाला बोर्ड की कार्ययोजना
जिले में 13 हजार किसान कर रहे मसाला फसलों की खेती, 8 हजार हेक्टेयर रकबा भी बढ़ गया
2014-15 में जिले में 12 हजार किसानों ने 60 हजार हेक्टेयर में लहसुन, धनिया, मैथी, जीरा, मिर्च, ईसबगोल, चंद्रथूर, असालिया, असगंध, तुलसी जैसी मसाला व औषधीय फसलों की बोवनी की थी। 2017-18 में इसका रकबा 67 हजार हेक्टेयर पहुंच गया। वर्तमान में 68 हजार हेक्टेयर में खेती हो रही है। किसानों की संख्या भी 13 हजार से अधिक हो गई है।
अमेरिका के वैज्ञानिक बता चुके जलवायु बेहतर
मसाला फसलों के हब के रूप में मंदसौर उभरकर सामने आने के बाद मार्च-2016 में अमेरिका के ज्वाइंट इंस्टीट्यूट फॉर फूड सेफ्टी एंड एप्लाइड न्यूट्रीशन (जिफ्सन) के कृषि वैज्ञानिक डॉ. क्लेर नेरोड एवं डॉ. जेम्स रशिंग मंदसौर आए थे। उन्होंने मंदसौर व आसपास की जलवायु को मसाला फसलों (लहसुन, मैथी, धनिया, जीरा सहित अन्य फसलों) के लिए उपयुक्त बताया था।
बजट व स्टाफ की कमी के कारण अटका मामला