अंडरब्रिज वाली सड़क उखड़ रही है। केवल ढ़ाई साल में ही सड़क की हालत खराब हो गई है। बारिश होने पर जलभराव और कीचड़ होता है। पानी निकासी के इंतजाम नहीं हैं। करीब ढाई साल पहले ट्रैफिक सुविधा के लिहाज से बनाया गया, लेकिन एप्रोच रोड ढंग की नहीं बन पाई। यहां से ना तो पानी की निकासी ठीक हो रही है। और ना ही सड़कें साफ-सुथरी हैं। पानी निकासी के लिए सड़क के बाजू में नाली का अभाव है। रोड पर फिसलन हो रही है। रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज निर्माण करने वाले ठेकेदार ने काली मंदिर के पीछे अंडरब्रिज के पास अपना डेरा बनाया है। इसी रास्ते से मशीनें और अन्य सामग्री उठाई जाती है। पास ही ओवरब्रिज निर्माण के लिए बोरवेल से पानी लिया जाता है इससे भी कीचड़ होता है। रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। सुविधा केवल इतनी है कि रेलवे गेट बंद होने से लोग अंडर पास से निकल जाते हैं। क्रॉसिंग बंद होने पर दोपहर करीब 2.30 बजे अंडरपास वाले रास्ते में भी जाम लग गया। इससे लोगों को असुविधा झेलनी पड़ी। कीचड़ के कारण वाहन स्लिप हो रहे हैं। यही हाल ओवरब्रिज के इंतवारा तरफ का है। पूरे रास्ते में कीचड़ है। इतवारा निवासी और आम लोग हैरान हैं। अप्रैल 2016 में अंडरब्रिज बनने के बाद फरवरी 2017 में ओवरब्रिज भी मंजूर होकर काम शुरू हो गया। ओवरब्रिज ठेकेदार से व्यवस्थित एप्रोच रोड की अपेक्षा लोगों की है। ओवरब्रिज करीब 18 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है। अधिकारियों के मुताबिक ब्रिज की चौड़ाई 12 मीटर और लंबाई करीब 600 मीटर है। अंडरब्रिज भी लगभग 3 करोड़ रुपए की लागत से बना था। शहर की आबादी 48, 800 है। जबकि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी रोज शहर में आते हैं। इसलिए ट्रैक्टर-ट्रॉली और अन्य चार पहिया वाहनों से रोज सैंकड़ों लोग आते हैं। अंडरब्रिज रोड पर स्ट्रीट लाइट भी नहीं लग पाई हैं। इसलिए इस इलाके में रात के समय अंधेरा छाया रहता है।
पिपरिया। क्षतिग्रस्त अंडरब्रिज रोड।
निकलने के लिए 4 स्थानों पर सीढ़ियां बनेंगी
ओवरब्रिज पर 4 चिन्हित स्थानों पर सीढ़ियां दी जाएंगी। ताकि लोग आ जा सकें। ओवरब्रिज पर रेलवे के हिस्से का काम शुरू नहीं हुआ है। 600 मीटर दायरे में रहने वाले फिलहाल निर्माण पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद वे अपने घरों की जरुरी मरम्मत और अन्य रुके हुए काम करेंगे।
सुधार का प्रयास करेंगे
ट्रैफिक डायवर्ट हो तो तेजी से हो सकता है काम
भारी वाहनों को डायवर्ट किया जाए तो ओवरब्रिज का काम तेजी से हो सकता है, लेकिन तरौन-शोभापुर रोड का काम भी पूरा हुआ है। यहां से सीधे वाहन शहर के बाहर निकल सकते हैं। गांव वाला हिस्सा बाकी रह गया है। सरकारी निर्माणों की चाल धीमी है। 27 करोड़ रुपए की लागत वाले तरौन-शोभापुर मार्ग का उन्नयन हो रहा है। नोएडा की कंपनी काम कर रही है। समय सीमा भी निकल चुकी है। एक्सटेंशन भी ठेकेदार को मिल चुके हैं।