सांची में शनिवार और रविवार को दो दिन बौद्ध महोत्सव को लेकर आम लोगों को बौद्ध भिक्षुओं के अस्थि कलश दर्शन के लिए रखे जाएंगे। यह कलश सालभर चैत्यगिरी विहार के तलघर में बड़े ही सुरक्षित ढंग से रखे जाते हैं। तलघर के कई बंद दरवाजों के पीछे शील्ड लॉकर में रखे जाते हैं। अस्थि कलश को बाहर निकालने की भी एक प्रक्रिया होती है।
तहसीलदार सुनील प्रभाष ने बताया कि बौद्ध भिछु सारीपुत्र और महाबोधग्लायन की अस्थियां अलग-अलग कलश में रखी हुई हैं। इन्हें बाहर निकालने के लिए पूरी तय प्रक्रिया का पालन करना होता है। इन तालों की एक चाबी महाबोधि सोसायटी के अध्यक्ष और दूसरी चाबी कलेक्टोरेट स्थित ट्रेजरी में रखी जाती है। बौद्ध महोत्सव के दौरान चैत्यगिरी विहार के तलघर में कलेक्टर के प्रतिनिधि के तौर पर तहसीलदार और महाबोधि सोसाइटी के प्रतिनिधियों से के साथ इन तालों को खोला जाता है। लॉकर तक पहुंचने के पहले सभी गेटों के ताले खोलने से पहले पंचनामा बनाए जाते हैं। इसके बाद ही ताले खाले जाते हैं। इन अस्थि कलश काे शनिवार को सुबह 7 बजे निकालकर चैत्यगिरी बिहार मे आम लोगों को दर्शन के लिए रखा जाएगा।
दो दिन के लिए आयोजित होने वाले सांची बौद्ध महोत्सव को लेकर मंदिर को सजाया गया है। इसे लेकर सारी तैयारियों पूरी कर ली गई हैं।