पर्याप्त स्टाफ न होने से डेढ़ लाख की आबादी हो रही परेशान, नहीं मिल पाती स्वास्थ्य सेवाएं
भास्कर संवाददाता|सिलवानी
20 साल पहले शासन ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उन्नयन कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना दिया था, ताकि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा यहां के लोगों को मिल सके और परेशानियों का सामना न करना पड़े। लेकिन उन्नयन के बाद हालत जस के तस बने हुए हैं। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की उम्मीद लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आने वाले मरीजों को इलाज न मिलने के कारण प्राइवेट उपचार कराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। खासकर अस्पताल में महिला विशेषज्ञ न होने के कारण गर्भवती महिलाओं को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बीते करीब दो माह से सरकारी अस्पताल में पदस्थ महिला चिकित्सक शरमीन आलम महाराष्ट्र के नागपुर मेडिकल कॉलेज में पीजी कोर्स का अध्यापन करने के लिए गई है, तभी से महिला चिकित्सक का पद खाली पड़ा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग ने भी अभी तक इस पद पर किसी भी महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक की पदस्थापना नहीं की है। जिससे गर्भवती महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालत यह है कि पीड़ित इलाज की उम्मीद लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक आ जाती है, लेकिन यहां पदस्थ महिला आयुष चिकित्सक जांच उपरांत इलाज नहीं कर पाती है। मजबूरन पीड़ित महिलाओं को प्राइवेट इलाज करवाने के लिए जाना पड़ता है। जिसमें उनके पैसे और समय दोनों की बर्बादी हो रही है। आदिवासी बाहुल्य विकासखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का अभाव स्थाई समस्या बनी हुई है। स्वीकृत पद के मान से अनेक पद खाली पड़े हुए है। खाली पड़े स्वास्थ्य कर्मचारियों के पदों को भरे जाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी गंभीर नहीं है। यही नहीं स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर जनप्रतिनिधि भी गंभीर दिखाई नहीं दे रहे हैं।
भोपाल और नागपुर में कराना पड़ता इलाज
महिला चिकित्सक के अभाव में सर्वाधिक परेशानी महिला मरीजों को हो रही है। महिलाएं अपनी बीमारी पुरुष चिकित्सकों को बताते में संकोच करती है। जिसके चलते महिला रोगियों का उचित उपचार प्राप्त नहीं हो पा रहा है। हालांकि आर्थिक रूप से सुदृढ परिवार की महिलाएं सागर, भोपाल, नागपुर, इंदौर आदि महानगरों में जाकर महंगा उपचार करा लेती है, लेकिन निम्न तबके से परेशान महिलाएं महंगा उपचार करा पाने में असमर्थ रहती हैं।गंभीर बीमारी के पीड़ितों को अन्य स्थानों पर जाकर महंगा कराना पड़ता है। नागरिकों ने स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों से मांग की है कि नगर के सरकारी अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके।
पुरुष चिकित्सकों से इलाज कराना पड़ रहा
मुआर गांव की पार्वती बाई ने बताया कि महिला चिकित्सक के न होने से उपचार में परेशानी होती है। न चाहते हुए भी पुरुष चिकित्सकों से इलाज कराना पड़ रहा है। बम्होरी की सीमा ठाकुर ने मांग की है कि सरकारी अस्पताल में शीघ्र ही महिला डाॅक्टर की स्थाई रूप से व्यवस्था की जाए ताकि महिला रोगियों को लाभ मिल सके।