नियमितिकरण की मांग को लेकर शहर के महाविद्यालयों में पदस्थ अतिथि विद्वान मंगलवार को हड़ताल पर चले गए। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अतिथि विद्वानों को भी नियमित करने की पॉलिसी बनाने का वचन दिया गया था। सरकार बन जाने के एक साल बाद भी इस बिंदु पर फैसला नहीं होने पर अतिथि विद्वान नाराज है। इधर, इस नाराजगी का असर शिक्षण कार्य पर होगा। सिर्फ शहर के लीड कॉलेज में ही 50 फीसदी अतिथि विद्वान है। 27 विद्वान कॉलेज में शिक्षण का कार्य करते हैं। इधर, 10 दिसंबर से सप्लीमेंट्री की परीक्षाएं होना है, ऐसे में परीक्षाओं के दौरान होने वाली व्यवस्थाओं पर इसका असर रहेगा। हालांकि, तीन दिन पहले रतलाम में आए उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी मंच से ही अतिथि विद्वान को नहीं हटाने का कह चुके हैं।