शहर के किला क्षेत्र में मंदिर के मैदान पर खेलते मिडिल स्कूल के बच्चे।
टेकना में 15 साल पहले दबंगों ने विद्यालय भवन की जगह बना लिया पशुओं का बाड़ा
श्योपुर विकास खंड के ग्राम टेकना स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय के भवन सहित खेल मैदान अतिक्रमण पर 15 साल पहले दबंगों ने कब्जा करने के बाद एक परिवार ने भवन निर्माण करा लिया है। स्कूल की जमीन पर बाउंड्री व टीनशेड लगाकर मवेशी बांधे जा रहे हैं। इसकी शिकायत स्थानीय अभिभावक कई बार कर चुके है। लेकिन अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं हुई है। नतीजा यह प्राथमिक विद्यालय कभी एक किसान के निजी बाड़े में लगता है तो मौसम खराब होने पर स्कूल के बच्चों को गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र में बैठाकर पढ़ाते हैं। बच्चों के लिए स्कूल अपनी जमीन के लिए ही परेशान हो रहा है।
प्राइवेट स्कूलों के पास भी नहीं हंै खेल मैदान
प्राइवेट स्कूलों की मान्यता के लिए खेल मैदान होना अनिवार्य शर्त है। लेकिन जिले में अधिकांश प्राइवेट स्कूल में खेल मैदान नहीं है। जिले में 168 मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल में ज्यादातर स्कूल सिर्फ 2-3 कमरे के आवासीय भवन में संचालित हो रहे हैं। जबकि आरटीई के प्रावधान के मुताबिक स्कूल की मान्यता के लिए 2 एकड़ जमीन होना जरूरी है।
कई गांव में अतिक्रमण की चपेट में खो गए खेल मैदान
जिले के कई कस्बे और गांव में सरकारी स्कूलों के खेल मैदान के लिए आरक्षित जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखे हैं। मानपुर, बड़ागांव, टेकना, सोईंकलां में खेल मैदान की जमीन पर अतिक्रमण की शिकायत ग्रामीण कर चुके हैं। डीईओ ने संकुल प्रभारियों को अपने संकुल के जितने भी सरकारी स्कूल में अतिक्रमण की स्थिति है, वहां पंचायत , अभिभावक और प्रशासन के सहयोग से खेल मैदान से कब्जे हटवाने की पहल करने को कहा गया था। लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते खेल मैदान अतिक्रमणमुक्त नहीं हो सके हैं।
खेल मैदान से अवैध कब्जे हटाने के लिए प्रशासन से मांगा सहयोग

जिले में शहरी क्षेत्र को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्र में संचालित सरकारी विद्यालयों के पास खेल मैदान है। सभी स्कूलों में नियमित खेल गधिविधियां संचालित की जा रही है। जहां खेल मैदान पर अवैध कब्जे की स्थिति हैं, वहां अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन से सहयोग मांगा है। वकील सिंह रावत, डीईओ, श्योपुर