अस्पताल में महिलाओं के बैठने के लिए कक्ष व बच्चों के लिए तैयार होगा झूलाघर
जानकारी के लिए अस्पताल में लगाई गई है एलईडी भास्कर संवाददाता | शिवपुरी जिला चिकित्सालय आने वाली महिलाओं को अब...
Bhaskar News Network | Last Modified - Apr 17, 2018, 04:55 AM IST
जानकारी के लिए अस्पताल में लगाई गई है एलईडी
भास्कर संवाददाता | शिवपुरी
जिला चिकित्सालय आने वाली महिलाओं को अब अस्पताल में न केवल बैठने के लिए अलग से कक्ष मिलेगा वरन इन महिलाओं को इस कक्ष में एनीमिया और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण और निवारण की जानकारी भी दी जाएगी। इसके साथ ही विषय विशेषज्ञों द्वारा टीवी की एलसीडी स्क्रीन पर भी प्रैक्टीकल जानकारी दी जाएगी ताकि महिलाएं स्वयं स्वस्थ कैसे रहें और अपना उपचार कैसे कराएं यह जान सकेंगी। खास बात यह है कि वह अपने बच्चों को भी इस झूलाघर में खेलने के छोड़ सकेंगी।
जिला चिकित्सालय परिसर के खाली पड़े हॉल में इस योजना की शुरुआत की गई है जिसमें जिले के ग्रामीण क्षेत्र और विभिन्न स्थलों से आने वाली महिलाओं के लिए कुपोषण,एनीमिया,गर्भावस्था में होने वाली बीमारियां,घर के आसपास रखने की स्वच्छता ,गंदगी से होने वाली बीमारियां,बच्चों के लालन पालन के तरीके और उन्हें किस उम्र में किस तरह की डाइट देकर उनके स्वास्थ्य को संवारा जा सकता है। यह सब जानकारी दी जाएगी। इस प्रक्रिया के शुरु होने से न केवल गर्भवती महिलाओं की देखरेख अच्छे से हो सकेगी वरन उनकी गर्भावस्था के दौरान मौत और गंभीर स्थिति से बचने की नौबत भी नहीं आएगी।
सुबह 10.30 से शाम 4.30 बजे तक होगी काउंसिलिंग
महिला सशक्तिकरण अधिकारी ओ पी पांडेय ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत जिला चिकित्सालय से की है जिसमें प्रतिदिन यहां सुबह 10.30 से शाम 4.30 बजे तक के लिए दो काउंसलर यहां नियुक्त रहेंगे जो यहां आने वाली महिलाओं को काउंसिलिंग देंगे। इस प्रक्रिया के दौरान यहां महिलाओं को जानकारी देने के साथ उन्हें लिफलैट्स और अन्य उपयोगी जानकारी दी जाएगी। इसके साथ साथ आयरन की गोलियां और पोषण आहार के साथ साथ गर्भावस्था में महिलाएं किस तरह से संतुलित आहार लेकर अपने जीवन को संवार सकती है। यह पहल की जाएगी।
झूलाघर में कैरम सहित अन्य गैम्स की व्यवस्था की जाएगी
इस हॉल से सटा हुआ ही झूला घर भी यहां बनेगा जिसमें बच्चों के खेलने के लिए कैरम और फिसलपट्टी सहित अन्य गेम होंगे। इन बच्चों को इस झूला घर में अस्पताल आने वाली माताएं कुछ समय के लिए छोड़ सकती है,जिस समय में वह अपने मरीज से अस्पताल में मिल रही है। या फिर ऐसी महिलाओं के परिजन जो अस्पताल में भर्ती है,वह महिलाएं भी इस जानकारी कक्ष और झूला घर का आनंद ले सकेंगी। इस झूला घर में 5 से 6 साल तक के बच्चों को प्रवेश मिलेगा जिसमें वह कुछ देर आराम पा सकेंगे।
उद्घाटन के बाद झूला सामग्री उठाकर वापस ले गए आयोजक
इस कार्यक्रम में खास बात यह रही कि प्रदेश की खेल मंत्री इस योजना का उद्घाटन करने जिला चिकित्सालय पहुंची,तब झूला घर में सारी सामग्री का प्रदर्शन किया गया जिसमें झूला घर की सामग्री भी शामिल थी। लेकिन जैसे ही मंत्री यहां से कार्यक्रम का उद्घाटन करके गयीं वैसे ही यहां से झूला घर की सामग्री की बटोरकर आयोजक ले गए। हालांकि आयोजकों का कहना था कि इस सामग्री को वह व्यवस्थित ढंग से लगाकर यहां प्रदर्शित करेंगे।
रोजाना अस्पताल आती हैं 500 महिलाएं, 400 बच्चे
अभी वर्तमान में जिला चिकित्सालय की बात करें तो यहां प्रतिदिन उपचार के लिए तकरीबन 500 महिलाएं और 400बच्चे आते है। जो लाइन में लगे लगे इंतजार में परेशान हो जाते है। इन बच्चों की केयर के लिए महिला बाल विकास विभाग ने एनजीओ शक्तिशाली महिला संगठन के साथ एक नई शुरुआत की है जिसमें इन महिलाओं की केयर का स्थान मिल सकेगा। इसके साथ ही बच्चे भी झूला घर में अपना आशियाना कुछ देर बना सकेंगे।
उपयोगी जानकारी भी दी जाएगी
अभी हमने जिला चिकित्सालय में प्रदेश की खेल मंत्री से इस योजना की शुरुआत कराई है, इसके शुरु हो जाने से अस्पताल में आने वाली महिलाओं और बच्चों की देखरेख के साथ साथ उनको उपयोगी जानकारी भी दी जाएगी। ओपी पांडेय, महिला सशक्तिकरण अधिकारी, शिवपुरी
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जिला चिकित्सालय आने वाली महिलाओं को अब अस्पताल में न केवल बैठने के लिए अलग से कक्ष मिलेगा वरन इन महिलाओं को इस कक्ष में एनीमिया और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण और निवारण की जानकारी भी दी जाएगी। इसके साथ ही विषय विशेषज्ञों द्वारा टीवी की एलसीडी स्क्रीन पर भी प्रैक्टीकल जानकारी दी जाएगी ताकि महिलाएं स्वयं स्वस्थ कैसे रहें और अपना उपचार कैसे कराएं यह जान सकेंगी। खास बात यह है कि वह अपने बच्चों को भी इस झूलाघर में खेलने के छोड़ सकेंगी।
जिला चिकित्सालय परिसर के खाली पड़े हॉल में इस योजना की शुरुआत की गई है जिसमें जिले के ग्रामीण क्षेत्र और विभिन्न स्थलों से आने वाली महिलाओं के लिए कुपोषण,एनीमिया,गर्भावस्था में होने वाली बीमारियां,घर के आसपास रखने की स्वच्छता ,गंदगी से होने वाली बीमारियां,बच्चों के लालन पालन के तरीके और उन्हें किस उम्र में किस तरह की डाइट देकर उनके स्वास्थ्य को संवारा जा सकता है। यह सब जानकारी दी जाएगी। इस प्रक्रिया के शुरु होने से न केवल गर्भवती महिलाओं की देखरेख अच्छे से हो सकेगी वरन उनकी गर्भावस्था के दौरान मौत और गंभीर स्थिति से बचने की नौबत भी नहीं आएगी।
सुबह 10.30 से शाम 4.30 बजे तक होगी काउंसिलिंग
महिला सशक्तिकरण अधिकारी ओ पी पांडेय ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत जिला चिकित्सालय से की है जिसमें प्रतिदिन यहां सुबह 10.30 से शाम 4.30 बजे तक के लिए दो काउंसलर यहां नियुक्त रहेंगे जो यहां आने वाली महिलाओं को काउंसिलिंग देंगे। इस प्रक्रिया के दौरान यहां महिलाओं को जानकारी देने के साथ उन्हें लिफलैट्स और अन्य उपयोगी जानकारी दी जाएगी। इसके साथ साथ आयरन की गोलियां और पोषण आहार के साथ साथ गर्भावस्था में महिलाएं किस तरह से संतुलित आहार लेकर अपने जीवन को संवार सकती है। यह पहल की जाएगी।
झूलाघर में कैरम सहित अन्य गैम्स की व्यवस्था की जाएगी
इस हॉल से सटा हुआ ही झूला घर भी यहां बनेगा जिसमें बच्चों के खेलने के लिए कैरम और फिसलपट्टी सहित अन्य गेम होंगे। इन बच्चों को इस झूला घर में अस्पताल आने वाली माताएं कुछ समय के लिए छोड़ सकती है,जिस समय में वह अपने मरीज से अस्पताल में मिल रही है। या फिर ऐसी महिलाओं के परिजन जो अस्पताल में भर्ती है,वह महिलाएं भी इस जानकारी कक्ष और झूला घर का आनंद ले सकेंगी। इस झूला घर में 5 से 6 साल तक के बच्चों को प्रवेश मिलेगा जिसमें वह कुछ देर आराम पा सकेंगे।
उद्घाटन के बाद झूला सामग्री उठाकर वापस ले गए आयोजक
इस कार्यक्रम में खास बात यह रही कि प्रदेश की खेल मंत्री इस योजना का उद्घाटन करने जिला चिकित्सालय पहुंची,तब झूला घर में सारी सामग्री का प्रदर्शन किया गया जिसमें झूला घर की सामग्री भी शामिल थी। लेकिन जैसे ही मंत्री यहां से कार्यक्रम का उद्घाटन करके गयीं वैसे ही यहां से झूला घर की सामग्री की बटोरकर आयोजक ले गए। हालांकि आयोजकों का कहना था कि इस सामग्री को वह व्यवस्थित ढंग से लगाकर यहां प्रदर्शित करेंगे।
रोजाना अस्पताल आती हैं 500 महिलाएं, 400 बच्चे
अभी वर्तमान में जिला चिकित्सालय की बात करें तो यहां प्रतिदिन उपचार के लिए तकरीबन 500 महिलाएं और 400बच्चे आते है। जो लाइन में लगे लगे इंतजार में परेशान हो जाते है। इन बच्चों की केयर के लिए महिला बाल विकास विभाग ने एनजीओ शक्तिशाली महिला संगठन के साथ एक नई शुरुआत की है जिसमें इन महिलाओं की केयर का स्थान मिल सकेगा। इसके साथ ही बच्चे भी झूला घर में अपना आशियाना कुछ देर बना सकेंगे।
उपयोगी जानकारी भी दी जाएगी

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(News in Hindi from Dainik Bhaskar)
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