मुनिराजों का जैन समाज ने किया अभिनंदन, चातुर्मास का निवेदन किया
विदिशा| आषाढ़ सुदी पंचमी के इस दिवस को सारा भारत दीक्षा दिवस के रूप में याद करेगा। यह उद्गार आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के 51 वर्ष पूर्ण होने पर मुनि श्री पवित्र सागर महाराज ने कही। उन्होंने मुनि त्रय श्रीप्रसाद सागर, मुनि श्री शैल सागर जी एवं मुनि श्री निकलंक सागर महाराज क आगमन पर कहा कि जिनके होठों पर पर हंसी और पांवों में छाले होंगे वही लोग हमसे मिलने को आएंगे।
विदिशा नगर में गुरु भाइयों के मिलन के इस अवसर पर कहा कि हम पांचों महाराज ने सात सात मिलकर यह आषाढ़ सुदी पंचमी को 7-7 को मनाया। यह तिथी विदिशा वाले तो याद रखेंगे ही। साथ ही आषाढ़ सुदी पंचमी को दीक्षा दिवस” के रूप में पूरा भारत याद करेगा। उन्होंने संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के 52वें दीक्षा दिवस पर त्रय मुनिराजों के मिलन को विदिशा नगर की उपलब्धि बताते हुए कहा कि लोगों का तो मिलना तो वाटसएप, फेसबुक और चिट्ठियों के माध्यम से एवं साक्षात होता रहता है। लेकिन साधु संतों का मिलन सहज नहीं होता। सालों के बिछड़े पंछी जब अपनों से मिलते है तो धरती चांद सितारे अपनों से लगते हैं।
श्री सकल दिगंबर जैन समाज एवं श्री शीतल विहार न्यास के पदाधिकारियों ने पांचों मुनिराजों के समक्ष विदिशा नगर में ही चातुर्मास का निवेदन कर श्री फल अर्पित किए। मुनिसंघ को सुधी श्रावकों ने शास्त्र भेट कर आशीर्वाद लिया। प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि त्रय मुनिराज जो रविवार को आने वाले थे वह अहमदपुर से लगातार 20 किमी का पद बिहार करते हुए शनिवार की शाम 5 बजे ही विदिशा अा गए थे। समाज के पदाधिकारियों ने चरण वंदना कर त्रय मुनिराजों का अभिनंदन किया। इसके बाद मुनि श्री पवित्र सागर एवं मुनि श्री प्रयोग सागर महाराज का मिलन हुआ। एक दूसरे को प्रति नमोस्तु करते हुए पांचों ऋषी राज इन्द्र प्रस्थ स्थित वासुपूज्य जिनालय के दर्शन करते हुए खरी फाटक रोड स्थित श्री आदिनाथ जिनालय एवं श्री शांतिनाथ जिनालय के दर्शन करते हुए स्टेशन माधवगंज से किरी मोल्ला जैन मंदिर पहुंचे।