जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों पर अचानक हमले बढ़ाकर फैलाया गया आतंकी खौफ पर्यटकों की बेखौफ चहलकदमी ने दफन कर दिया है। सर्दी शुरू होने से ठीक पहले अक्टूबर में आतंकियों ने गैर-मुस्लिमों और गैर-कश्मीरियों पर हमले किए। 15 दिन के अंतराल में ही 11 आम नागरिकों की हत्या की। यह इस साल किसी एक महीने में हुए सबसे ज्यादा हमले हैं।
इससे 1990 जैसे हालात बनते दिखे। लेकिन, जैसे ही बर्फ पड़नी शुरू हुई, देशभर से पर्यटक घाटी पहुंचने लगे। नवंबर में 1.27 लाख पर्यटक आए, जो नवंबर में कश्मीर पहुंचने वाले पर्यटकों का 7 साल का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसकी उम्मीद न तो पर्यटन विभाग को और न ही पर्यटन कारोबार से जुड़े कारोबारियों को थी। पिछले साल कोरोना की वजह से नवंबर में सिर्फ 6,327 पर्यटक आए थे।
अक्टूबर में जैसे ही आतंकियों ने गैर-मुस्लिमों और गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाना शुरू किया, इससे पलायन की तस्वीरें आने लगीं। श्रीनगर से जम्मू के लिए रोज सैकड़ों टैक्सियां बुक होने लगीं, जिनमें वो परिवार भी श्रीनगर छोड़कर जाने लगे, जो 1990 के सबसे भयानक पलायन के दौर में भी घर छोड़कर नहीं गए। अब वैसी ही कतारें श्रीनगर की तरफ आने वाले पर्यटकों की लगी हुई हैं। इसका एक बड़ा कारण सेना की मुस्तैदी भी है। सेना ने नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल 11 आतंकियों में से 10 को अलग-अलग ऑपरेशन में मार गिराया है।
पर्यटन निदेशक डॉ. जीएन इटू ने बताया कि हाउसबोट फेस्टिवल जैसे आयोजनों से भी अच्छा माहौल बना। कश्मीर के पर्यटन विभाग ने देश के अलग-अलग शहरों में दो दर्जन रोड शो किए। इनके जरिए संदेश गया कि कश्मीर सुरक्षित है। इससे भरोसा बढ़ा।
गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम के होटलों में 100% ऑक्यूपेंसी
गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग जैसे हिल स्टेशनों के होटलों मे 100% ऑक्यूपेंसी चल रही है। गुलमर्ग के अधिकांश होटलों में जनवरी तक बुकिंग है। डिमांड ज्यादा होने से रेट भी बढ़ गए हैं। कुछ महंगे होटल एक दिन के 40 हजार से 50 हजार रुपए तक चार्ज कर रहे हैं, जबकि दो महीने पहले तक यही होटल 25 हजार से ज्यादा नहीं ले रहे थे। क्रिसमस के दौरान पर्यटक और बढ़ सकते हैं।
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