हर शारीरिक काम जो हम करते हैं, उसमें ऊर्जा खर्च होती है। यह ऊर्जा निरंतर बिना रुकावट और थकावट के हमें मिलती रहे तो यह फिजिकल वेलनेस है। यानी हमारा शरीर स्वस्थ होना चाहिए। फिजिकल वेलनेस को पाने के लिए इस तरह नियमित एक्सरसाइज और संतुलित आहार लेना चाहिए-
एक्सरसाइज के जरिए
डब्ल्यूएचओ के अनुसार 5 से 17 साल की आयु के बच्चों को हर सप्ताह कम से कम 60 मिनट मध्यम और तीन दिन जोरदार एक्सरसाइज करना चाहिए। 18 वर्ष से अधिक के लोगों को सप्ताह में 150-300 मिनट मध्यम और 75-150 मिनट तीव्र कसरत करना चाहिए।
खाने के जरिए
टीनएज के बाद सभी को प्रतिदिन 2200 से 3000 कैलोरी की जरूरत होती है। इसका 50 फीसदी हिस्सा कार्ब्स से आना चाहिए। जैसे- साबुत अनाज, फल, सब्जी, दूध। 25 फीसदी प्रोटीन से आना चाहिए। जैसे- मीट, सीफूड, अंडे, नट्स। 25 फीसदी फैट से आना चाहिए।
इमोशनल वेलनेस: 10 मिनट ध्यान और 30 मिनट संगीत सुनें, भावनाएं काबू हाेंगी
विचार, भावनाएं और चुनौतियों से निपटने की क्षमता और भावनात्मक चिंताओं पर विजय पाना इमोशनल हेल्थ है। इसके लिए ये तीन उपाय करें-
राेज 10 मिनट मेडिटेशन : लीड्स बेकेट विवि के शोध के अनुसार रोज सिर्फ 10 मिनट के मेडिटेशन से दर्द सहने की क्षमता बढ़ती है। तनाव घटता है।
राेज 10 मिनट मेडिटेशन : लीड्स बेकेट विवि के शोध के अनुसार रोज सिर्फ 10 मिनट के मेडिटेशन से दर्द सहने की क्षमता बढ़ती है। तनाव घटता है।
30 मिनट म्यूजिक सुनें, दर्द कम होगा: अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलाॅजी के अनुसार संगीत डिप्रेशन से निकालता है। हार्ट अटैक के बाद चेस्ट पेन हो तो 30 मिनट संगीत सुनने से दर्द का एहसास कम हो जाता है।
सोशल वेलनेस: दोस्तों को वक्त दें, बच्चों के साथ खेलें, दर्द कम होगा
दोस्त, परिवार, जान-पहचान के लोगों से अच्छे संबंध रखना व खुद को और साथियों को चिंता मुक्त करना सोशल वेलनेस है। इसे पाने के ये दो अहम तरीके हैं-
दोस्तों को वक्त दें
हार्वर्ड हेल्थ स्कूल के अनुसार जो लोग दोस्तों के साथ हफ्ते में दो-तीन बार अच्छा वक्त बिताते हैं, उनमें डिप्रेशन, एंग्जायटी कम होती है। दोस्ती बीमारी से जल्दी रिकवर करने में मदद करती है। अकेलेपन का शिकार लोगों में डिमेंशिया का खतरा दोगुना होता है।
रोज खेलें
खेलने से कल्पनाशीलता, रचनात्मकता बेहतर होती है। समस्याओं के समाधान की क्षमता भी बेहतर होती जाती है। जब आप खेलते हैं तो आपकी बॉडी में इंर्डोफिन हार्मोन रिलीज होता है। इससे न सिर्फ खुशी मिलती है, बल्कि दर्द का एहसास भी कम हो जाता है।
स्पिरिचुअल वेलनेस: लाेगों की मदद करें, प्रार्थना करें, मन हमेशा खुश रहेगा
उद्देश्यपूर्ण जीवन जीना, अपनी क्षमताओं और मान्यता को पहचानना आध्यात्मिक सेहत है। यह शरीर व मन के बीच संतुलन बनाती है। यह ऐसे पाई जा सकती है-
अपने आसपास के लोगों की मदद करें
क्लीवलैंड क्लिनिक के शोध के अनुसार जब आप किसी की मदद करते हैं, किसी को उपहार देते हैं तो आपके मस्तिष्क में सेरोटोनिन, डोपामाइन और ऑक्सीटोसिन जैसे ‘फील गुड’ रसायनों का स्राव होता है। यह आध्यात्मिक सेहत को सुधारते हैं।
जब भी वक्त मिले प्रार्थना करें
अपने और अन्य लोगों के स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी की प्रार्थना बेहतर स्वास्थ्य का जरिया बनती है। इससे शारीरिक कार्यप्रणाली बेहतर होती है, इम्यून सिस्टम सुधरता है। तनाव वाला हार्मोन कोर्टिसोल घटता है।
इंटलेक्चुअल वेलनेस: रोज 20 मिनट पढ़ें, पहेलियां हल करें रचनात्मकता बढ़ेगी
नए विचारों को समझने की कोशिश करना, खुद को चुनौती देना, नई चीज देखना, शोध करना इंटलेक्चुअल सेहत कहलाता है। इससे मस्तिष्क में नए न्यूरॉन कनेक्शन बनते हैं। इसे पाने के सहज उपाय ये हैं-
रोज कुछ पढ़ें: रोज 15 से 20 मिनट कुछ पढ़ने से दिमाग में न्यूरॉन्स के कनेक्शन मजबूत होते हैं। पढ़ने सेे दिमाग के सोमेटोसेंसरी काॅर्टेक्स में सक्रियता बढ़ती है। दिमाग का यह हिस्सा दर्द हाेने पर प्रतिक्रिया देता है। पढ़ने से नींद अच्छी आती है, बशर्ते स्क्रीन पर नहीं कागज पर पढ़ें।
क्रॉसवर्ड हल करें: समय मिलने पर सुडोकू, क्रॉसवर्ड जैसी पहेलियों को सुलझाने की कोशिश करें। जो लोग नियमित रूप से ऐसा करते हैं, उनमें अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा कम हो जाता है। यह ब्रेन डिजीज के खतरे काे कम करता है।
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