मानसून आने में अभी करीब दो महीने बाकी हैं, लेकिन राहत की बात यह है कि हमारे 20 राज्यों में स्थित 143 जलाशयों में से 118 में सामान्य से 80% ज्यादा पानी है। उत्तर, पश्चिम, मध्य और दक्षिण भारत के जलाशय लबालब हैं। 64% जलाशयों में तो 10 साल के औसत से भी अधिक पानी है। हालांकि, पूर्वी भारत खास तौर से गंगा बेसिन वाले इलाकों की स्थिति ठीक नहीं है।
6 जलाशयों में सामान्य से 38% तक कम पानी है। इनमें यूपी-बिहार व पश्चिम बंगाल के 12 जलाशय शामिल हैं। 143 जलाशयों में स्टोरेज की नियमित निगरानी करने वाले सेंट्रल वाटर कमीशन (सीडब्ल्यूसी) की रिपोर्ट में ये जानकारियां सामने आई हैं। इन जलाशयों में 18 हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट भी चलाए जाते हैं।
14 राज्यों के जलाशयों में सामान्य से 3-90% तक ज्यादा पानी
रिपोर्ट के मुताबिक, 14 राज्यों के जलाशयों में सामान्य से 3-90% तक ज्यादा पानी है। इनमें से सात राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा में पिछले साल से भी ज्यादा पानी है। जलाशयों के जल भंडारण की निगरानी में बीते 10 वर्षों के औसत भंडारण को सामान्य माना जाता है।
देश में केवल पूर्वी हिस्से और यूपी को छोड़कर बाकी सभी राज्यों के जलाशयों में पिछले 10 साल के औसत से अधिक (116%) पानी है। मगर पिछले साल की तुलना में कुछ कम (93%) है। इसकी दो वजह हैं, पहली- यूपी व पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में पिछले मानसून के दौरान सामान्य से कम बारिश हुई थी। दूसरी- 2022 के दौरान देशभर में बारिश का वितरण 2021 की तुलना में ज्यादा असमान था। जबकि 2022 के मानसून में 106% और 2021 में 99% तक बारिश रिकॉर्ड की गई थी।
राजस्थान में 20% तो कर्नाटक में 19% ज्यादा, लेकिन उत्तर प्रदेश-बिहार में 38% तक कम पानी
एक्सपर्ट ने चेताया... जलाशयों का जल सावधानी से खर्च करें
साउथ एशियन नेटवर्क ऑफ डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल्स के संयोजक हिमांशु ठक्कर ने कहा कि दुनियाभर के मौसम विभाग इस साल अलनीनो वर्ष होने की आशंका जता रहे हैं। ऐसे में सामान्य से कम बारिश की संभावना रहती है। अलनीनो वर्ष में बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। हमें अपने स्टोरेज को बचाने और बहुत सावधानी से इस्तेमाल करने की जरूरत है। खासकर गर्मियों के दौरान इस पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए बिल्कुल न किया जाए।
हालांकि, उत्तर भारत के जलाशयों को मई में पहाड़ों पर बर्फ पिघलने की वजह से फायदा होने की उम्मीद है। इस बार बीती सर्दियों के दौरान सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ कम संख्या में आए लेकिन अब मार्च में उनकी संख्या बढ़ गई है, जिसके चलते उत्तर के पहाड़ी राज्यों से लेकर मध्य भारत के मैदानों तक कई दौर की बारिश और बर्फबारी हो रही है। लेकिन भारतीय मौसम विभाग ने इस वर्ष अप्रैल-मई के दौरान सामान्य से अधिक गर्मी रहने का अनुमान जताया है।
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