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1922 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में चौरी चौरा की घटना हुई थी। ये पहली ऐसी घटना थी, जिसमें क्रांतिकारियों के गुस्से का शिकार हुए पुलिसवालों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी, तब से उन्हें शहीद माना गया है। इसकी एक और वजह थी कि पुलिस अपनी ड्यूटी कर रही थी। वहीं, जो सत्याग्रही मारे गए थे, उन्हें भी शहीद माना गया था। इसी के चलते हर साल 4 फरवरी को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐतिहासिक चौरी चौरा की घटना को आज 100 साल पूरे हो गए हैं। केंद्र सरकार ने शताब्दी समारोह मनाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस आयोजन का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे।
महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार, अंग्रेजी पढ़ाई छोड़ने और चरखा चलाने की अपील की थी। उस समय पूरे देश में असहयोग आंदोलन अपने चरम पर था। 4 फरवरी 1922 को चौरी चौरा के भोपा मार्केट में सत्याग्रही इकट्ठा हो गए। जब वे शांति मार्च निकाल रहे थे, तब पुलिस थानेदार ने इस मार्च को अवैध घोषित कर दिया। मौके पर मौजूद एक पुलिस कांस्टेबल ने गांधी टोपी को पैर से रौंद दिया। इससे सत्याग्रही आक्रोश में आ गए, तो पुलिसवालों ने शांति मार्च पर फायरिंग कर दी। घटना में 11 सत्याग्रही शहीद और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। पुलिस के पास बंदूक की गोलियां खत्म हो चुकी थीं। वे सभी पुलिस स्टेशन की ओर भागे। फायरिंग से भड़की भीड़ भी पुलिस के पीछे दौड़ पड़ी। सत्याग्रहियों ने एक दुकान से कैरोसिन तेल से भरा डब्बा उठा लिया और पुलिस स्टेशन को फूंक दिया।
थानेदार ने भागने की कोशिश की तो भीड़ ने उसे पकड़कर आग के हवाले कर दिया। इस घटना में थानेदार समेत 23 पुलिसवाले जिंदा जल गए थे। घटना को हिसंक मानते हुए महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। गोरखपुर अदालत ने 9 जनवरी 1923 को 418 पेज का फैसला सुनाया। इसमें 172 लोगों को दोषी ठहराया गया और सजा-ए-मौत की सजा सुनाई गई। वहीं, 2 लोगों को 2 साल जेल की सजा सुनाई गई। 47 लोगों को बरी कर दिया गया। इस फैसले के खिलाफ गोरखपुर कांग्रेस कमेटी ने हाईकोर्ट में अपील की। उस वक्त इन सभी की पैरवी पंडित मदन मोहन मालवीय कर रहे थे। 30 अप्रैल 1923 को फैसला आया। 19 को फांसी, 16 को काला पानी, बाकी सभी लोगों को 8, 5 और 2 साल की सजा दी गई। 3 लोगों को दंगा भड़काने के आरोप में 2 साल की सजा सुनाई गई और 38 लोगों को बरी कर दिया गया।
17 साल की हुई सबसे बड़ी सोशल मीडिया साइट फेसबुक
सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने आज 17 साल पूरे कर लिए हैं। इसे हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के 4 स्टूडेंट मार्क जुकरबर्ग, एडुआर्डो सेवरिन, डस्टिन मोस्कोवित्ज, क्रिस ह्यूज ने 4 फरवरी 2004 को लॉन्च किया था। पहले इसका नाम 'द फेसबुक' रखा गया था। ये साइट हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए तैयार की गई थी। देखते ही देखते इसकी पहुंच अमेरिका के कई कॉलेज में हो गई। फेसबुक के बढ़ते क्रेज को देखते हुए Paypal के को- फाउंडर पीटर थील ने फेसबुक में 355 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया। 2012 में 1 अरब यूजर्स के साथ ये दुनिया का सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया। कंपनी का हेडक्वार्टर कैलिफोर्निया के मेनलो पार्क में है।
जुलाई 2006 में याहू ने फेसबुक को 7100 करोड़ रुपए में खरीदने की इच्छा जताई, लेकिन मार्क जुकरबर्ग ने मना कर दिया। 2007 में माइक्रोसॉफ्ट ने फेसबुक की 1.6% हिस्सेदारी को 1,704 करोड़ रुपए में खरीद लिया। इसके बाद फेसबुक की मार्केट वैल्यू बढ़कर 10.65 लाख करोड़ रुपए हो गई। अप्रैल 2012 में फेसबुक ने 7,100 करोड़ रुपए में इंस्टाग्राम को खरीदा। 2014 में ऑक्यूलस कंपनी को 14,000 करोड़ रुपए में खरीदा। व्हाटसएप को 1.34 लाख करोड़ में खरीदा। ये फेसबुक की सबसे महंगी डील थी। फिलहाल फेसबुक की मार्केट कैप 760 अरब डॉलर है।
भारत और दुनिया में 4 फरवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:
1881: दैनिक समाचार पत्र केसरी का पहला अंक प्रकाशित हुआ। इसके संपादक लोकमान्य तिलक थे।
1922: भारत रत्न और भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायक पंडित भीमसेन जोशी का जन्म हुआ था।
1924: महात्मा गांधी को बीमार होने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया।
1960: भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह खान का निधन हुआ था।
1978: जूलियस जयवर्धने श्रीलंका के पहले राष्ट्रपति बने।
1974: भारत के महान गणितज्ञ सत्येंद्र नाथ बोस का निधन हुआ था।
2000: हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।
2014: भारतवंशी सत्य नडेला माइक्रोसॉफ्ट के नए CEO नियुक्त किए गए।
पॉजिटिव- आज आसपास का वातावरण सुखद बना रहेगा। प्रियजनों के साथ मिल-बैठकर अपने अनुभव साझा करेंगे। कोई भी कार्य करने से पहले उसकी रूपरेखा बनाने से बेहतर परिणाम हासिल होंगे। नेगेटिव- परंतु इस बात का भी ध...
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