कहानी - कुंती और द्रौपदी से जुड़ा किस्सा है। एक जंगल के बीच पांडवों की कुटिया थी। एक दिन कुंती भोजन तैयार कर रही थीं और द्रौपदी इस काम में उनकी मदद कर रही थीं। उस समय द्रौपदी नई बहू थीं।
जब भोजन तैयार हो गया तो कुंती ने द्रौपदी से कहा, 'इस भोजन का हमें वितरण करना चाहिए और मैं तुम्हें बताती हूं वितरण कैसे करना है। इस भोजन के तीन भाग करना है। पहला भाग देवताओं और ब्राह्मणों को अर्पित करना है। दूसरा भाग उन लोगों के लिए निकलना है जो हमारे आसपास हैं और हम पर आश्रित हैं। तीसरे भाग में से आधा एक तरफ निकाल लो और जो आधा बचेगा, उसके 6 हिस्से करना है।'
द्रौपदी ने कहा, 'ये मुझे समझ नहीं आया।'
कुंती ने कहा, 'मैं अभी समझाती हूं।' उन्होंने तीसरे भाग के दो हिस्से किए और उनसे से एक भाग अलग रखा और दूसरे भाग के फिर 6 हिस्से किए।
कुंती ने कहा, 'ये 6 हिस्से युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, मेरे लिए और तुम्हारे लिए हैं और जो एक बड़ा आधा भाग है, वह भीम का है। भोजन के मामले में भीम को ज्यादा ही चाहिए। पूरे परिवार का आधा भाग भीम के लिए निकाला जाता है। मैं इस तरह भोजन का वितरण करती हूं और अब से तुम भी रोज इसी तरह भोजन का वितरण करना।'
सीख - कुंती और द्रौपदी का ये किस्सा हमें सीख दे रहा है कि अन्न का वितरण करना भी बहुत जरूरी है। हम मेहनत करके जो भी अन्न घर लाते हैं, उस अन्न में परिवार के साथ ही उन लोगों का भी हिस्सा होता है, जिन्हें भोजन नहीं मिलता है। घर में काम करने वाले कर्मचारियों को भी अन्न मिलना चाहिए। परिवार के हर एक सदस्य को उसकी भूख के अनुसार खाना मिलना चाहिए। अन्न सही वितरण करना परिवार और समाज के कल्याण के लिए जरूरी है।
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