दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव के एग्जिट पोल आने शुरू हो गए हैं। शुरुआती रुझान में दुनिया के सबसे बड़े निगम में से एक MCD की सत्ता 15 साल बाद भाजपा के हाथ से फिसलकर आम आदमी पार्टी (AAP) के हाथ में जाती दिख रही है।
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया और टाइम्स नाउ-ईटीजी के एग्जिट पोल के मुताबिक MCD में आप की सरकार भारी बहुमत से बनती दिख रही है। भाजपा दूसरे और कांग्रेस का करीब पूरी तरह से सफाया होता दिख रहा है।
इंडिया टुडे- एक्सिस माय इंडिया के सर्वे के अनुसार, MCD की कुल 250 सीटों में से आप को 149 से 171, भाजपा को 69 से 91 और कांग्रेस को 3 से 7 सीटें मिलने के आसार हैं। आप का आंकड़ा बहुमत यानी 126 सीटों के आंकड़ों से काफी ज्यादा है।
कांग्रेस के पास लोकसभा-विधानसभा की एक भी सीट नहीं
दिल्ली में 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सातों सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस और AAP अपना खाता भी नहीं खोल पाई थीं। 2020 विधानसभा चुनाव में 70 सीटों में से AAP को 62 और BJP को 8 सीटें मिली थीं, जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में AAP को 67 और BJP को 3 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 2020 और 2015 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी।
मैदान में उतरे 1,349 उम्मीदवार
MCD चुनाव 2022 के लिए 1349 उम्मीदवार मैदान में उतरे। इनमें 709 महिला प्रत्याशी थीं। BJP और AAP ने सभी 250 सीटों पर अपने-अपने कैंडिडेट उतारे, जबकि कांग्रेस के 247 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। JDU ने 23 सीटों पर, तो AIMIM ने 15 सीटों पर कैंडिडेट उतारे।
BSP ने 174, NCP ने 29, इंडियन मुस्लिम लीग ने 12, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने 3, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने 4 और सपा, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने एक-एक सीट पर प्रत्याशी मैदान में उतारे। इसके अलावा 382 निर्दलीय प्रत्याशी रहे।
13,638 मतदान केंद्रों पर वोटिंग
चुनाव आयोग ने पूरी दिल्ली में 13,638 मतदान केंद्र बनाए थे। इनमें लगभग 1 लाख कर्मचारियों को तैनात किया गया। वोटर्स की सुविधाओं के लिए 68 मॉडल मतदान केंद्र और 68 पिंक मतदान केंद्र बनाए गए। इन पोलिंग बूथ पर कुल 40 हजार जवानों की तैनाती की गई। चुनाव में 56,000 EVM मशीन का इस्तेमाल किया गया। बूथों पर चुनाव आयोग ने पारदर्शी तरीके से मतदान के लिए CCTV लगवाए थे।
MCD क्या काम करती है?
MCD और दिल्ली सरकार के बीच इन अधिकारों पर टकराव
MCD और दिल्ली सरकार दोनों शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं। MCD को प्राइमरी स्कूलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि दिल्ली सरकार को हायर सेकेंडरी स्कूलों के साथ-साथ कॉलेजों की भी देखभाल करनी होती है।
MCD 60 फीट से छोटी सड़कों की सफाई और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। दूसरी ओर, दिल्ली सरकार को 60 फीट से अधिक चौड़ी सड़कों की देखरेख करनी होती है।
MCD टोल, प्रॉपर्टी और प्रोफेशनल टैक्स के साथ-साथ विज्ञापनों से रेवेन्यू कलेक्ट करती है, जबकि दिल्ली सरकार वैल्यू एडेड टैक्स, सर्विस टैक्स और एक्साइज ड्यूटी इकट्ठा करती है। इसी से शहर का बजट तैयार होता है।
दिल्ली की राजनीति में MCD इतनी अहम क्यों?
दिल्ली की सत्ता के तीन पावर सेंटर्स हैं। दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और MCD। केंद्र सरकार की शक्तियां तो उसके पास ही रहेंगीं। अब मान लीजिए दिल्ली में और केंद्र में विरोधी दलों की सरकारें हैं तो केंद्र में सत्ताधारी दल चाहता है कि MCD उसके पास रहे और वह दिल्ली को अपने हिसाब से रेगुलेट कर सके। वहीं, दिल्ली की सरकार चाहती है कि MCD भी उसके कब्जे में आ जाए तो वह ज्यादा आजादी से और अपने हिसाब से विकास कर सकेगी।
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