अनैतिक संबंधों यानी एडल्टरी के मामले में दोषी पाए जाने पर तीनों सेनाएं अपने कर्मचारी के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने मंगलवार को रक्षा मंत्रालय की अर्जी पर यह स्पष्टीकरण दिया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि ऐसे मामले में दोषी अफसर कोर्ट के फैसले का हवाला दे रहे हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर 2018 को IPC की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया था। इससे पहले तक धारा 497 के तहत एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर यानी एडल्टरी को अपराध बताया गया था। जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने इसी फैसले को लेकर सफाई दी और कहा कि अदालत का 2018 का फैसला आर्मी एक्ट पर लागू नहीं होता।
केंद्र सरकार ने कोर्ट से क्या कहा?
रक्षा मंत्रालय की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने 2018 के फैसले के स्पष्टीकरण की मांग करने वाली याचिका दायर की थी। रक्षा मंत्रालय ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था कि एडल्टरी को अपराध के तौर पर शामिल करने का 2018 का फैसला आर्म्ड फोर्स के अफसरों को अनैतिक संबंधों जैसी गतिविधियों के लिए दोषी ठहराए जाने के रास्ते में रोड़ा बन सकता है।
दीवान ने बताया कि एडल्टरी के लिए कुछ सैन्य कर्मियों के खिलाफ डिसिप्लिनरी एक्शन लिए गए थे। हालांकि, आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (AFT) ने जोसेफ शाइन के फैसले का हवाला देते हुए कई मामलों में ऐसी कार्रवाई को रद्द कर दिया था।
कोर्ट ने कहा- आर्मी एक्ट के नियम अलग
बेंच ने कहा- हमने केवल एडल्टरी को अपराध के रूप में रद्द किया था। उस समय अदालत ने आर्मी एक्ट की धारा 45 (अशोभनीय आचरण) और धारा 63 ( आदेश और अनुशासन का उल्लंघन) की व्याख्या करने के लिए नहीं कहा गया था। सेनाएं अपने नियमों के हिसाब से कार्रवाई करने का अधिकार रखती हैं।
क्या था एडल्टरी कानून?
बता दें कि 27 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने धारा 497 को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि केवल एडल्टरी अपराध नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा था कि अगर पीड़ित पति या पत्नी एडल्टरी की वजह से खुदकुशी करते हैं और उसके साक्ष्य मिलते हैं तो खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला चलेगा।
कोर्ट ने कहा था कि एडल्टरी शादी की संस्था से जुड़ा है और संसद ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाया है। एडल्टरी कानून के तहत विवाहित महिला अगर किसी अन्य पुरुष से संबंध बनाती है तो मर्द पर मुकदमा चलाने का प्रावधान था, जबकि औरत पर न मुकदमा चलता था और ना ही उसे कोई सजा मिलती थी। ये कानून पति को पत्नी से संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ मुकदमा करने का अधिकार देता था, लेकिन वह पत्नी के खिलाफ कोई केस नहीं कर सकता था।
इस मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें...
SC ने कहा- एडल्टरी पर अफसरों के खिलाफ एक्शन के लिए मैकेनिज्म बने
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार के लिए आर्मी अफसरों के खिलाफ डिसिप्लिनरी एक्शन के लिए आर्म्ड फोर्सेज के पास किसी प्रकार का मैकेनिज्म होना चाहिए। अदालत ने कहा कि यह एक ऐसा आचरण है जो अधिकारियों के जीवन बर्बाद कर सकता है। इससे आर्म्ड फोर्सेज के डिसिप्लिन पर भी असर पड़ता है। पढ़ें पूरी खबर...
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.