भाजपा के रथ के सारथी रहे लालकृष्ण आडवाणी लंबे अरसे बाद मंगलवार शाम सामने आए। अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखे जाने में 15 घंटे बाकी थे और मंदिर आंदोलन की नींव रखने वाले आडवाणी अपनी बात रख रहे थे। 92 साल के आडवाणी करीब तीन मिनट बोले। उस रथ यात्रा का भी जिक्र किया, जो उन्होंने 1990 में निकाली थी। पीछे धनुर्धारी भगवान राम की तस्वीर थी।
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‘‘जीवन के कुछ सपने पूरा होने में बहुत समय लेते हैं। लेकिन, जब वे चरितार्थ होते हैं तो लगता है कि प्रतीक्षा सार्थक हुई। ऐसा ही एक सपना, जो मेरे हृदय के समीप है, अब पूरा हो रहा है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन हो रहा है। निश्चय ही, केवल मेरे लिए ही नहीं, बल्कि समस्त भारतीय समुदाय के लिए यह क्षण ऐतिहासिक है और भावपूर्ण भी।
श्रीराम जन्मभूमि पर श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण भारतीय जनता पार्टी का एक स्वप्न रहा है और मिशन भी। मैं विनम्रता का अनुभव करता हूं कि नियति ने मुझे 1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा का दायित्व दिया। इस यात्रा में असंख्य लोगों की आकांक्षा, ऊर्जा और अभिलाषा को प्रेरित किया।
इस शुभ अवसर पर मैं उन सभी संतों, नेताओं और देश-विदेश के जनमानस के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में योगदान दिया। मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण का काम शांतिपूर्ण वातावरण में शुरू हो रहा है।
श्रीराम का स्थान भारतीय सभ्यता और संस्कृति में सबसे ऊपर है। वे शिष्टाचार और मर्यादा के मूर्त रूप हैं। यह मंदिर हम सब भारतीयों को श्रीराम के इन गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा देगा। राम मंदिर शांतिपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। सबके लिए न्याय होगा और कोई भी बहिष्कृत नहीं होगा। श्रीराम का आशीर्वाद सबको मिले। जय श्रीराम।’’
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