दिल्ली-NCR में हवा की क्वालिटी सोमवार को फिर खराब हो गई। सोमवार को 4 बजे दिल्ली का 24 घंटे का एयर क्वालिटी का औसत 353 पर रहा। रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स के 24 घंटे का औसत 330 पर आ गया था। प्रशासन ने सोमवार को बताया कि अगले तीन दिन तक इसमें कोई सुधार होने की संभावना नहीं है।
इस बीच दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए दिल्ली सरकार ने वर्क फ्रॉम होम और इंडस्ट्रीज पर बैन लगाने जैसे उपाय सुझाए हैं। हालांकि, उन्होंने ये साफ नहीं किया कि इंडस्ट्रीज पर बैन का पैमाना क्या होगा। दिल्ली सरकार ने ये सुझाव कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की बैठक में दिए हैं। इस मीटिंग में पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश भी शामिल हुए थे।
प्रशासन का यह जवाब तब आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ही केंद्र को निर्देश दिया था कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए तेजी से कोई एक्शन लें। इसमें गैर-जरूरी कंस्ट्रशन, ट्रांसपोर्ट और पावर प्लांट को मंगलवार शाम तक बंद करना शामिल है। सोमवार 4 बजे NCR के अन्य शहरों की एयर क्वालिटी भी बहुत खराब रही।
शहरों का AQI
फरीदाबाद- 319
गाजियाबाद- 335
ग्रेटर नोएडा- 317
गुरुग्राम- 332
नोएडा- 338
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पॉल्यूशन की समस्या पर केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने प्रदूषण के मसले पर सुनवाई के दौरान दोनों सरकारों को कहा है कि वे जल्द से जल्द प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से मंगलवार तक जवाब मांगा है, वहीं केंद्र सरकार से कहा है कि आपात बैठक बुलाएं और दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सरकारों को एक साथ बैठाकर प्रदूषण की समस्या का हल निकालें।
दिल्ली सरकार ने कहा लॉकडाउन के लिए तैयार हैं हम
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करके बताया था कि प्रदूषण को रोकने के लिए वे संपूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने को पूरी तरह तैयार हैं। साथ में सरकार ने यह भी कहा है कि ऐसे कदमों से सिर्फ कुछ समय का असर पड़ेगा। केजरीवाल सरकार ने बताया कि दिल्ली के साथ NCR क्षेत्र में भी लॉकडाउन लगाने की जरूरत है, तभी ऐसे कदमों का असर पड़ेगा। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह दिल्ली को NCR का हिस्सा मान ले और पूरे NCR में लॉकडाउन लगा दे।
पराली पर लड़ रहे केंद्र और दिल्ली सरकार
केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के जलने का बड़ा योगदान नहीं है। इससे सिर्फ 10% प्रदूषण होता है। सबसे ज्यादा प्रदूषण धूल और वाहनों के धुएं से होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन्हीं कारणों पर फोकस करें। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने भी दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है। किसान संगठन ने कहा कि पराली जलाने के लिए किसानों को दोषी करार करना और उन पर जुर्माना लगाना प्रदूषण की समस्या का हल नहीं है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को बताया कि केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 दिनों में 2.5पीएम प्रदूषण में पराली जलने की हिस्सेदारी बढ़कर 48% हो गई है। ऐसे में उन्होंने केंद्र के उस डेटा का सोर्स मांगा जिसमें प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी सिर्फ 10% बताई गई है।
जॉइंट एक्शन प्लान की जरूरत
गोपाल राय ने यह भी कहा कि समस्या का समाधान जॉइंट एक्शन प्लान से होगा और केंद्र और NCR राज्यों की मंगलवार को होने वाली बैठक में दिल्ली सरकार इस बात को उठाएगी। उन्होंने दिल्ली मेट्रो और दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के साथ बैठक करके पब्लिक ट्रांसपोर्ट से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उपायों पर बात की। DMRC और DTC से दो दिन के अंदर प्लान तैयार करने को कहा गया है।
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