मणिपुर में विदेश राज्यमंत्री के घर भीड़ का हमला:मंत्री मैतेई समुदाय से हैं; अमित शाह 29 को वहां जाएंगे

इंफाल14 दिन पहले
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मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। गुरुवार रात गुस्साई भीड़ ने केंद्रीय विदेश और शिक्षा राज्यमंत्री आरके रंजन सिंह के कोन्ग्बा नन्देईबाम लेइकाई गांव स्थित घर पर हमला कर दिया। पुलिस मौके पर पहुंची, जिससे बड़ा हादसा टल गया। हमले के वक्त मंत्री अपने घर में मौजूद नहीं थे।

सूत्रों के अनुसार मंत्री के घर हमला मैतेई समुदाय ने किया था। विदेश राज्य मंत्री सिंह भी मैतेई समुदाय से आते हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में दखल की मांग की थी। अब गृहमंत्री अमित शाह 29 मई से 1 जून तक मणिपुर के दौरे पर जा रहे हैं।

गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह असम पहुंचे। यहां मणिपुर के 13 विधायक शाह से मिले। वहीं, शाह ने भी मणिपुर में लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

मैतेई समुदाय को ST का दर्जा दिए जाने के खिलाफ हिंसा
मणिपुर में मैतेई समुदाय को ST का दर्जा दिए जाने के खिलाफ 3 मई से शुरू हुई हिंसा 20 दिन बाद फिर भड़क गई है। बुधवार को मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के निन्ग्थोउखोंग में हमलावरों ने राज्य के मंत्री गोविन्दास कोन्थाउजाम के निजी आवास में घुसकर जमकर तोड़फोड़ की थी।

वहीं, कुकी समुदाय के लोगों ने मंगलवार को तीन मैतेई घरों को आग के हवाले कर दिया। इस घटना का बदला लेते हुए दूसरे समुदाय ने भी चार घर जला दिए। फिर हथियारों से लैस लोगों ने विष्णुपुर के मोइरांग के कुछ गांवों में हमला किया।

चुराचांदपुर में 3 मई को हिंसा के बाद कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।
चुराचांदपुर में 3 मई को हिंसा के बाद कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।

हंगामे का शोर सुनकर मोइरांग के राहत शिविर के कुछ लोग बाहर आए। इस बीच, तोइजाम चंद्रमणि नाम के युवक को पीठ में गोली लगी जो सीने से होकर निकल गई। जानकारी मिलते ही असम रायफल्स के जवान मौके पर पहुंचे। उन्होंने मैतेई युवकों को भगाते हुए हिंसा बढ़ने से रोक दी। जवानों ने कई कुकी बंकर तोड़ दिए। घटना के बाद जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है। जख्मी चंद्रमणि ने बाद में दम तोड़ दिया।

भाजपा विधायक ने दी इस्तीफे की चेतावनी
अब इंफाल ईस्ट के केइराओ से भाजपा विधायक लोउरेम्बन रामेश्वोर ने इस्तीफे की चेतावनी दी है। रामेश्वोर का आरोप है कि मणिपुर में हालात सुधर नहीं रहे हैं। दूसरी ओर, मणिपुर का मसला जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में गूंजा है।

हिंसा की वजह क्या है?
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मैतेई समुदाय की डिमांड पर विचार करें और 4 महीने के भीतर केंद्र को रिकमेंडेशन भेजें।

इसी आदेश के बाद मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) मणिपुर ने एक रैली निकाली। जो बाद में हिंसक हो गई।

हिंसा भड़कने के बाद राज्य में पहले 3 मई को कर्फ्यू लगाया गया था। साथ ही अफवाह फैलाने और फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए इंटरनेट और मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर सख्ती की गई थी।
हिंसा भड़कने के बाद राज्य में पहले 3 मई को कर्फ्यू लगाया गया था। साथ ही अफवाह फैलाने और फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए इंटरनेट और मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर सख्ती की गई थी।

मैतेई क्यों आरक्षण मांग रहे?
मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62% से घटकर 50% के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।

कौन हैं विरोध में?
मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाले नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीटें पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं।

राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है। नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।

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