मणिपुर में मैतेई समुदाय को ST का दर्जा दिए जाने के खिलाफ 3 मई से शुरू हुई हिंसा 20 दिन बाद फिर भड़क गई है। बिष्णपुर जिले के त्रोंग्लाओबी गांव में कर्फ्यू में ढील देते ही हिंसा हुई। दरअसल, संदिग्ध कुकी लोगों ने मंगलवार को तीन मैतेई घरों को आग के हवाले कर दिया। इस घटना का बदला लेते हुए दूसरे समुदाय ने भी चार घर जला दिए। फिर हथियारों से लैस लोगों ने विष्णुपुर के मोइरांग के कुछ गांवों में हमला किया।
हंगामे का शोर सुनकर मोइरांग के राहत शिविर के कुछ लोग बाहर आए। इस बीच, तोइजाम चंद्रमणि नाम के युवक को पीठ में गोली लगी जो सीने से होकर निकल गई। जानकारी मिलते ही असम रायफल्स के जवान मौके पर पहुंचे। उन्होंने मैतेई युवकों को भगाते हुए हिंसा बढ़ने से रोक दी। जवानों ने कई कुकी बंकर तोड़ दिए। घटना के बाद जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है। जख्मी चंद्रमणि ने बाद में दम तोड़ दिया।
मैतेई कह रहे- कुकी मूल निवासी नहीं
कुकी समुदाय के लोगों का कहना है कि कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के साथ केंद्र और राज्य सरकार की राजनीतिक वार्ता के माध्यम से ही समाधान निकलना चाहिए। सरकारी प्रतिनिधि हमारे पास केवल शांति बहाली की बात करने क्यों आ रहे हैं। पहले हमारी समस्याओं का समाधान होना चाहिए।
वहीं, मैतेई समुदाय ने कहा कि कुकी म्यांमार से आए घुसपैठिए हैं, इन्हें बाहर किया जाए, जबकि मैतेई यहां के भूमिपुत्र हैं।
मंत्री के आवास पर हमलावरों ने की तोड़फोड़
हिंसा के बाद बिशनपुर, इम्फाल पश्चिम, इम्फाल पूर्वी जिलों में कर्फ्यू में दी गई ढील वापस ले ली गई। इस बीच, मंत्री गोविंदास कोन्थाउजाम के घर में मैतेई महिलाओं ने तोड़फोड़ की। बिष्णुपुर में हिंसा के बाद लोगों ने प्रदर्शन किया है। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने गोलियां चलाईं। अन्य जिलों में भी हिंसा हुई।
5 शॉटगन समेत हथियार बरामद, 3 गिरफ्तार
सेना ने सेनापति जिले के कांगचुप चिंगखोंग जंक्शन पर वाहन की तलाशी ली। उससे दो-दो सिंगल बोर गन और डबल बोर गन, एक फोल्डिंग बट गन, 12 बोर के 280 जिंदा कारतूस, 12 बोर गन के 81 राउंड, 6 पैकेट के अलावा से 200 गोला बारूद एयर गन और पांच देशी बम मिले। 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
मिजोरम ने कहा- दंगाइयों पर सख्ती करें
मणिपुर हिंसा के बाद अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी चिंता बढ़ गई है। 10 हजार से अधिक लोगों ने मिजोरम और असम में शरण ले रखी है। मिजोरम के CM जोरमथांगा ने कहा कि मणिपुर की समस्या गंभीर है। CM बीरेन सिंह दंगाइयों से सख्ती से निपटें। नगालैंड भी मणिपुर की हिंसा से बेचैन है। सीमा पर उसने सख्ती कर दी है।
हिंसा की वजह क्या है?
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मैतेई समुदाय की डिमांड पर विचार करें और 4 महीने के भीतर केंद्र को रिकमेंडेशन भेजें।
इसी आदेश के बाद मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) मणिपुर ने एक रैली निकाली। जो बाद में हिंसक हो गई।
मैतेई क्यों आरक्षण मांग रहे?
मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62% से घटकर 50% के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।
कौन हैं विरोध में?
मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाले नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीटें पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं।
राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है। नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।
मणिपुर हिंसा से जुड़ी अन्य खबरें भी पढ़ें...
मणिपुर में 18 दिन बाद एक बार फिर हिंसा, राजधानी इंफाल में उपद्रवियों ने कई घर फूंके
मणिपुर में 18 दिन बाद एक बार फिर हिंसा हुई। राजधानी इंफाल में सोमवार को उपद्रवियों ने खाली पड़े घरों में आग लगा दी। हिंसा को देखते हुए सरकार ने इलाके में सेना तैनात कर दी। कर्फ्यू लगा दिया गया और 26 मई तक इंटरनेट भी बैन कर दिया गया है। पढ़ें पूरी खबर...
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.