मदरसों पर असम के CM का बयान:हिमंत बिस्वा सरमा बोले- मदरसे आतंक का हब; यहां पढ़ाई के बदले आतंकियों की ट्रेनिंग हो रही

नई दिल्ली7 महीने पहले
मोरीगांव जिले में 4 अगस्त को सारुल्लाह बांग्ला और AQIS संगठन से कनेक्शन के आरोप में प्रशासन ने बुलडोजर से एक मदरसे को गिरा दिया था।

असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मदरसों को आतंकियों के ट्रेनिंग हब के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि इन मदरसों में शिक्षा की बजाय आतंक की ट्रेनिंग दी जा रही है। सरमा ने कहा कि असम में अब तक ऐसे दो मदरसों को गिराया जा चुका है।

हाल ही में असम के बरपेटा जिले में एक निजी मदरसे को गिरा दिया था। पुलिस के मुताबिक मदरसा सरकारी जमीन पर बना था और यहां आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा रही थी। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया था। CM सरमा ने कहा, 'जांच में पता चला है कि मदरसे में अल कायदा का ट्रेनिंग कैंप चल रहा था। यहां पढ़ाई-लिखाई नहीं होती थी।'

4 अगस्त को निजी मदरसे पर चला था बुलडोजर
असम के मोरीगांव जिले में 4 अगस्त को सारुल्लाह बांग्ला और AQIS संगठन से कनेक्शन के आरोप में प्रशासन ने पहली बार कार्रवाई की थी। प्रशासन ने इसके संचालक मुस्तफा को पहले गिरफ्तार किया, फिर उसके निजी मदरसे को बुलडोजर चलाकर गिरा दिया था।

2020 में मदरसों का सरकारी अनुदान बंद हुआ
असम सरकार ने 2020 में मदरसों को अनुदान देना बंद कर दिया था। हिमंत उस समय राज्य के शिक्षा मंत्री थे। इस फैसले के बाद राज्य में करीब 800 मदरसे बंद हो गए थे। हालांकि 1000 से ज्यादा निजी मदरसे अब भी चल रहे हैं। इनका संचालन ऑल असम तंजीम मदारिस कौमिया करती है।

हिमंत ने कहा कि असम सरकार एक पोर्टल बनाएगी, जिस पर इमामों और मदरसा शिक्षकों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
हिमंत ने कहा कि असम सरकार एक पोर्टल बनाएगी, जिस पर इमामों और मदरसा शिक्षकों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

हिमंत ने कहा था- धार्मिक शिक्षा के लिए मदरसे जरूरी नहीं
23 मई को दिल्ली में एक कार्यक्रम में हिमंत ने कहा था कि देश में जब तक मदरसे रहेंगे, तब तक बच्चे इंजीनियर और डॉक्टर बनने के बारे में नहीं सोच पाएंगे। सरमा ने इस दौरान कहा था कि अगर आप बच्चों को धर्म से जुड़ी शिक्षा देना चाहते हैं तो घर पर दें, उसके लिए मदरसे का होना जरूरी नहीं है।