कहानी - महात्मा गांधी से जुड़ा किस्सा है। गांधी जी बाल विवाह के विरोधी थे। वे चाहते थे महिलाओं को भी उनके अधिकार मिलें, वे भी पढ़-लिख सकें और उन्हें भी आजादी मिले।
महात्मा गांधी अक्सर कहा करते थे कि मैंने जो पीड़ा भुगती है, वह दूसरे न भुगतें। उनका विवाह बहुत छोटी उम्र में कस्तूरबा के साथ हो गया था। कस्तूरबा बहुत अधिक पढ़ी-लिखी भी नहीं थीं। गांधी जी उन्हें घर से बाहर जाने भी नहीं देते थे। गांधी जी ने स्वयं स्वीकार किया था कि मैं अपनी पत्नी पर संदेह भी करता था। मेरी मानसिकता संकुचित थी कि कस्तूरबा दूसरे पुरुषों से बात न करें।
धीरे-धीरे गांधी जी परिपक्व होते गए, उनके जीवन में सत्य सदैव बना रहा। उन्होंने बाल विवाह का विरोध किया और वे महिलाओं की आजादी और अधिकारों के पक्ष में कहते थे, 'मैंने देखा है, कैसे पुरुष महिलाओं को दबाते हैं और बाल विवाह के क्या दुष्परिणाम हैं।'
गांधी जी की यही विशेषता थी कि उन्होंने जीवन में जितने भी प्रयोग किए वे तब किए जब वे उन परिस्थितियों से गुजरे। उन स्थितियों में गांधी जी ने अगर कोई गलती की तो उस गलती को कभी भी छिपाया नहीं था। सुधार की अवस्था में अपनी गलतियां दूसरों को जरूर बताईं।
सीख - गांधी जी का व्यक्तित्व हमें शिक्षा देता है कि गलतियां हर व्यक्ति से होती हैं। हमें गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। जब हम गलतियां स्वीकार करते हैं तो उन्हें सुधारने के लिए हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।
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