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श्रीनगर. सियाचिन ग्लेशियर में जल्द ही जवानों के लिए नहाना संभव हो सकता है। आईआईटी दिल्ली ने हाल ही में ऐसे उत्पाद विकसित किए हैं, जो बेहद सर्द मौसम में भी स्वच्छता बनाए रखने में सैनिकों की मदद करेंगे। दरअसल, 13 हजार से 22 हजार फीट की ऊंचाई पर बर्फ के बीच रहने वाले जवानों के लिए नहाना तो दूर पीने का पानी मिलना भी मुश्किल होता है। साथ ही पिघली हुई बर्फ का पानी भी नहाने के लिए हानिकारक माना जाता है। ऐसे में ड्यूटी के तीन महीने के दौरान सैनिकों को नहाने का मौका नहीं मिल पाता।
1) जेल के रूप में तैयार किए गए हैं स्वच्छता उत्पाद
आईआईटी दिल्ली के रिसर्चर्स ने जो उत्पाद तैयार किए हैं, वे वॉटरलेस (पानी रहित) हैं। इन्हें जेल के रूप में तैयार किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की सीमा पर तैनात सैनिकों ने टेस्टिंग में इसे बेहतरीन बताया है। इस फीडबैक के बाद ही देश की पूर्वी कमांड ने ऐसे हजार उत्पादों का ऑर्डर दिया है। जल्द ही इन्हें सियाचिन में मौजूद सैनिकों तक पहुंचाना भी शुरू कर दिया जाएगा।
ये जेल माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर भी इस्तेमाल किए जा सकेंगे। इससे जवान हफ्ते में दो बार नहा सकेंगे। एक अधिकारी के मुताबिक, आईआईटी दिल्ली के बनाए इस उत्पाद के सिर्फ 20 मिलीलीटर इस्तेमाल से ही पूरे शरीर को साफ किया जा सकता है।
सियाचिन ग्लेशियर पाकिस्तान और चीन दोनों की सीमा से लगा है। ऐसे में भारत को हर स्थिति में वहां तीन हजार सैनिक रखने ही पड़ते हैं। जवानों को आमतौर पर तीन महीने के लिए ग्लेशियर में तैनात किया जाता है।
इस दौरान करीब एक महीना उन्हें 128 किमी के इलाके की ट्रेकिंग करते हुए दुश्मन के कदमों पर नजर रखनी होती है। इनमें से कई इलाके समुद्र से 16 हजार फीट तक की ऊंचाई पर मौजूद हैं।
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