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बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट में लगाईं दो याचिकाएं:गैंगरेप के 11 दोषियों को दोबारा जेल भेजने की मांग, इनकी 15 अगस्त को हुई थी रिहाई

अहमदाबाद4 महीने पहले
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बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। उन्होंने बुधवार को दो अर्जियां लगाईं। इनमें से एक 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ है। दूसरी पुनर्विचार याचिका है। बिलकिस ने इन पर जल्द सुनवाई की मांग की है। इस केस के सभी 11 दोषी 15 अगस्त को आजादी के अमृत महोत्सव के तहत रिहा कर दिए गए थे।

इस केस में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक याचिका पहले भी दायर की है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस केस में दर्ज सभी पिटीशंस पर जल्द सुनवाई की जाएगी।

बिलकिस का सवाल- केस महाराष्ट्र में चला तो फैसला गुजरात सरकार ने क्यों लिया
रिपोर्ट्स के मुताबिक बिलकिस बानो ने कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की हैं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की है। वहीं, दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की है, जिसमें कहा गया था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बिलकिस का गैंगरेप हुआ
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया।

इस हमले में उनके परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 6 लोग लापता पाए गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे।

जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने दी थी सजा
हादसे के समय बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे गर्भवती थीं। दंगों में उसके परिवार के 6 सदस्य जान बचाकर भागने में कामयाब रहे। गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सबजेल में भेज दिया गया था।

बिलकिस के पति बोले- इस फैसले ने हमें तोड़ दिया
दोषियों की रिहाई पर बिलकिस के पति याकूब रसूल ने कहा, 'हमें यकीन ही नहीं हो रहा कि बिलकिस से गैंगरेप करने वाले, मेरी 3 साल की बेटी को पटक-पटककर मार देने वाले, मेरे परिवार के सात लोगों की हत्या करने वालों को सरकार ने कैसे छोड़ दिया। ये सोचकर ही हमें डर लग रहा है। इस फैसले ने बिलकिस को तोड़ दिया है। वो किसी से बात नहीं कर रही हैं। वह कुछ भी कहने की हालत में नही हैं।'

परिवार में खुशी
जेल से रिहा होने के बाद एक आरोपी ने कहा- जब हम जेल से छूटे तो परिवार में खुशी का माहौल था। जेल में रहने के दौरान हमने असहनीय कष्ट और अपमान सहा। अपने कई दोस्तों-रिश्तेदारों को भी खो दिया। हमारे साथ सजा काट रहे जशुकाका की पत्नी की कैंसर से मौत हो गई।

गुजरात दंगों में मारे गए थे 750 मुसलमान
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में भीड़ ने आग लगा दी थी। इसमें अयोध्या से लौट रहे 57 कारसेवकों की मौत के बाद दंगे भड़क गए थे। दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें ज्यादातर मुसलमान थे। केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा में बताया था कि गुजरात दंगों में 254 हिंदू और 750 मुसलमान मारे गए थे।

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याकूब ने बताया कि उन्हें दोषियों को रिहा करने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। मीडिया से पता चला कि ऐसा हुआ है। फिर हमने इस खबर की तस्दीक की। इससे हमें बहुत झटका और सदमा लगा है। बिलकिस भी इस बात से परेशान हैं कि आगे क्या होगा। दिल में बहुत डर पैदा हो गया है। इस तरह हम कैसे जिएंगे। हमने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा होगा। न ही इसका अंदाजा था। पढ़ें पूरी खबर...