तकरीबन तय है कि 29 दिनों बाद यानी 21 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू ही देश की अगली राष्ट्रपति होंगी। बीते कल, यानी मंगलवार को भाजपा और उनके साथ की पार्टियों ने द्रौपदी का नाम तय कर दिया। ये बातें तो दिल्ली में हो रही थीं, लेकिन तब द्रौपदी ओडिशा के मयूरभंज के अपने गांव माहूलडिहा में अपने घर पर थीं। साथ में बेटी इतिश्री थीं।
इतिश्री ने बताया कि शाम को एक कॉल आया, शायद प्रधानमंत्री मोदी का था। उन्होंने जो भी कहा हो, लेकिन मां उसके बाद चुप हो गईं। आंखों में आंसू थे, कुछ भी बोल न सकीं। थोड़ी देर बाद बस धन्यवाद कह पाईं और वो भी बहुत मुश्किल से।
'मां के लिए यह पल सपने जैसा'
भास्कर के अनुरोध पर इतिश्री ने द्रौपदी से बात कराई, महज 15 सेकंड के लिए। द्रौपदी ने कहा कि यह क्षण मेरे, आदिवासी और महिलाओं के लिए ऐतिहासिक है। बाद में इतिश्री ने बताया कि मां ने उनसे कहा कि यह सपने जैसा है। झोपड़ी से सर्वोच्च पद तक का दावेदार बनने तक का सफर सिर्फ सपना ही हो सकता है। आदिवासी समुदाय के लोग ऐसा सपना तक नहीं देखते हैं।
छोटी सी नौकरी करके परिवार पालना चाहती थीं
एक इंटरव्यू में द्रौपदी मुर्मू ने बताया था कि वे आदिवासी संथाल समाज से आती हैं। उनका परिवार बहुत गरीब था, लिहाजा उनका शुरुआती मकसद सिर्फ छोटी-सी नौकरी करके परिवार पालना था। उनकी नौकरी लग भी गई, लेकिन ससुराल वालों के कहने पर छोड़नी पड़ी। जब उनका मन नहीं लगा तो बच्चों को मुफ्त में पढ़ाना शुरू किया। यहीं से उनकी समाजसेवा की शुरुआत हुई।
पति और दोनों बेटों की मौत के बाद डिप्रेशन में चली गई थीं
1997 में उन्होंने पहली बार रायरंगपुर नगर पंचायत के काउंसलर का चुनाव लड़ा और जीत गई। 2000 में उन्हें विधायक का टिकट मिला और वे यह चुनाव भी जीत गई। इसके बाद वे मंत्री बनीं। 2009 में चुनाव हारने के बाद वे गांव आ गईं। मगर इसी बीच बेटे की दुर्घटना में मौत हो गई, जिसके बाद वे डिप्रेशन में चली गईं। जैसे-तैसे वे एक बेटे की मौत के सदमे से बाहर आई थीं कि 2013 में दूसरे बेटे की भी हादसे में मौत हो गई। फिर 2014 में उन्होंने पति को भी खो दिया। इसके बाद वे पूरी तरह टूट गई थीं, पर हिम्मत जुटाकर उन्होंने खुद को समाजसेवा में झोंक दिया।
Z+ सिक्योरिटी मिली
राष्ट्रपति उम्मीदवार चुने जाने के बाद द्रौपदी मुर्मू को केंद्र की तरफ से Z+ सिक्योरिटी कवर दिया गया है। वे आज यानी बुधवार से ही हर समय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के सुरक्षा घेरे में रहेंगी। सुबह से ही सशस्त्र सैनिकों के एक दल ने उनकी पहरेदारी शुरू कर दी है। सिक्योरिटी कवर मिलने के बाद मुर्मू अपनी विधानसभा रायरंगपुर में जगन्नाथ मंदिर और शिव मंदिर में दर्शन के लिए गईं। उन्होंने शिव मंदिर में झाड़ू लगाई और पूजा-अर्चना की।
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