भारत की मिट्टी में स्वाभिमान और देश के लिए कुर्बानी का जज्बा अलग ही रहा है। यहां के लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया और जान देने से पीछे नहीं हटे। इनमें एक क्रांतिकारी जयदेव कपूर भी थे जिन्होंने देश की आजादी में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। यह बात कम लोगों को पता है कि 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेंबली में बम फेंकने के लिए जो योजना बनी थी, उसमें बम फेंकने वालों की लिस्ट में जयदेव कपूर का नाम सबसे पहले रखा गया। आइए जानते हैं जयदेव कपूर की जिंदगी के उन अनछुए पहलुओं को।
दोस्त शिव वर्मा के साथ क्रांतिकारियों के संपर्क में आए
जयदेव कपूर के बारे में जानने के लिए वुमन भास्कर ने बरेली के साहित्यकार सुधीर विद्यार्थी से बात की। सुधीर विद्यार्थी ने बताया कि जयदेव कपूर अपने दोस्त शिव वर्मा के साथ क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। वे उन क्रांतिकारियों की टोली में शामिल हो गए जो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। यहीं से वह चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह के करीबी बन गए।
सुखदेव ने भगत सिंह को कायर कहकर उकसाया
सुधीर विद्यार्थी बताते हैं कि उनकी पहली मुलाकात 1978 में जयदेव कपूर से हुई और तब से उनके साथ उठना-बैठना शुरू हो गया। इन्हीं मुलाकातों में जयदेव ने अपने साथी क्रांतकारियों की कहानियां बताई। 6 अप्रैल, 1929 से पहले असेंबली में बम फेंकने की तैयारियां जोरों पर थीं। बम फेंकने वालों की जो लिस्ट बनी थी, उसके अनुसार असेंबली में बम जयदेव कपूर को फेंकना था। लेकिन सुखदेव चाहते थे कि असेंबली में बम भगत सिंह खुद फेंके। इस बात पर सुखदेव ने भगत सिंह को कायर कहा था “ क्या तुम नहीं चाहते कि बम फेंकने वाले क्रांतिकारियों की लिस्ट में तुम्हारा नाम ऊपर हो” “तुम कायर हो” सुखदेव की ये बातें भगत सिंह को चुभ गई। उन्होंने जिद पकड़ ली कि असेंबली में बम वह खुद फेकेंगे।
जयदेव और शिव वर्मा ने ही किया था एंट्री पास का इंतजाम
जयदेव को काउंसिल हाउस में सेफ्टी बिल पेश होने से दो दिन पहले 6 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त काउंसिल हाउस के असेंबली हॉल ये जानने के लिए गए कि पब्लिक गैलरी किस तरफ़ हैं और किस जगह से बम फेंके जाएंगे। जयदेव कपूर और शिव वर्मा ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के एंट्री पास का इंतजाम कर उन्हें असेंबली में दाखिल करवाया। इसके बाद ही भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंका।
दर्द कम करने के लिए दांतों से काट लेते हाथ
जयदेव कपूर जब भी क्रांतिकारी दौर की बातें याद करते, आंखों से आंसू टपकने लगते। असेंबली में बम विस्फोट के बाद अंग्रेज अफसरों ने जेल में डाल दिया और सजा के तौर पर रोज 30 चाबुक मारते थे। जयदेव कपूर को ब्लैकबोर्ड के सहारे खड़ा करके पीछे से चाबुक भिगोकर मारते थे, जिससे शरीर की चमड़ी उधड़ जाती थी और जब रात में जख्मों में दर्द का एहसास न हो, इसलिए अपने दांतों से हाथ काट लेते थे। जयदेव कपूर ने 60 दिनों तक चाबुक की मार झेली।
भारतीयों को गाली देने वाले जेलर के दांत तोड़े
सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट कांड में षडयंत्रकर्ता के तौर पर पकड़े जाने के बाद जयदेव कपूर को कालापानी की सजा हुई। वहां सजा काटने के दौरान जयदेव ने देखा कि जेलर भारतीयों को गाली दे रहा है, तो उन्होंने ऐसा घूंसा मारा कि उसके दांत टूट गए।
आज भी जयदेव कपूर के घर में मौजूद हैं भगत सिंह की घड़ी और जूते
आज भी रासबिहारी बोस की घड़ी और जूते जयदेव कपूर के घर में मौजूद हैं। इन्हीं जूतों और घड़ी को पहन कर भगत सिंह ने असेंबली में बम फेंका था। दरअसल, जूते और घड़ी रासबिहारी बोस ने जापान जाते समय शचींद्रनाथ सान्याल को सौंप दी थी। सान्याल ये जूते और घड़ी भगत सिंह को दे गए। इसके बाद भगत सिंह ने जयदेव कपूर को यह कहते हुए सौंप दिए कि यह अमानत रासबिहारी बोस की है।
सजा पूरी करने के बाद ही की शादी
जयदेव कपूर को लाहौर षड़यंत्र केस में जब कालापानी की सजा हुई थी तो तय किया था कि वह आजादी मिलने तक शादी नहीं करेंगे। जब उनकी कालेपानी की सजा पूरी हुई और घर लौटे तब परिवार के दबाव में 1946 में उन्होंने शादी की।
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