नई दिल्ली. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम प्रमुख बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा कि वे सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली उच्चस्तरीय समिति के सदस्य हैं, ऐसे में उन्हें इस पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। अब इस याचिका पर सुनवाई 24 जनवरी को दूसरी बेंच करेगी।
1) सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने की मांग
इस याचिका में एम नागेश्वर को सीबीआई का अंतरिम प्रमुख बनाए जाने के फैसले को चुनौती दी गई है। साथ ही सीबीआई निदेशक के चयन और नियुक्ति में पारदर्शिता लाने की मांग की गई है।
यह याचिका एनजीओ कॉमन कॉज और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने यह याचिका लगाई है। सीबीआई के नए निदेशक की नियुक्ति होने तक सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक राव को 10 जनवरी को अंतरिम प्रमुख का प्रभार सौंपा गया था।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने 10 जनवरी को आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ के पद से हटा दिया था। वर्मा पर भ्रष्टाचार और कर्तव्य की उपेक्षा के आरोप
1979 की बैच के आईपीएस अफसर वर्मा को सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेस और होम गार्ड विभाग का महानिदेशक बनाया गया था। हालांकि, उन्होंने सीबीआई चीफ के पद से हटाए जाने के अगले ही दिन नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। वर्मा का सीबीआई में कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा था।
वर्मा को पद से हटाने वाली समिति में प्रधानमंत्री के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में जस्टिस एके सिकरी थे।
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