लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएससी) पर भारत और चीन के बीच चल रही तनातनी के बीच गुरुवार को दोनों देशों के सीनियर कमांडरों के बीच एक बार फिर बातचीत हुई। बातचीत में दोनों देशों ने बॉर्डर पर तनाव कम करने को लेकर सहमति जताई है। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने चीन से सख्त लहजे में कहा है कि वह बातचीत के दौरान बनी सहमति का पूरी ईमानदारी से पालन करे और एलएसी पर शांति बनाए रखे।
पाकिस्तान के आरोपों का खंडन किया
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के आरोपों को नकारते हुए कहा कि पाकिस्तान को अपनी सरकार और प्रधानमंत्री इमरान खान के ग्लोबल आतंकवाद के बयानों पर अपना स्टैंड साफ करना चाहिए। विदेश मंत्रालय के अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान अपनी घरेलू समस्याओं का ठीकरा भारत के सर पर नहीं मढ़ सकता। कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हुए हमले के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत को जिम्मेदार बताया था।
यूएनएससी में चीन के प्रस्ताव पर जर्मनी व अमेरिका ने ली आपत्ति
चीन ने कराची में हुए हमले पर यूएनएससी में प्रस्ताव रखा था, लेकिन यूएनएससी मेंबर्स ने पाकिस्तान के बयानों पर आपत्ति दर्ज कराई। पहले जर्मनी और फिर अमेरिका ने इसका विरोध किया। रिपोर्ट के अनुसार, ये प्रस्ताव मौन प्रक्रिया के तहत लाया गया था। अगर तय समय में यूएनएससी को कोई मेंबर इस पर आपत्ति नहीं जताता तो इसे स्वीकार मान लिया जाता।
एलएसी मुद्दे पर भी भारत के साथ अमेरिका
अमेरिका ने एक बार फिर चीन पर पड़ोसियों को धमकाने का आरोप लगाया है। बुधवार शाम व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैकनेनी ने कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मानते हैं कि चीन न सिर्फ भारत, बल्कि दूसरे देशों के खिलाफ भी आक्रामक रवैया अपना रहा है। ये वहां की सरकार के असली चेहरे का सबूत है।
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