सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने महिलाओं के लिए गलत व्यवहार, सेक्सिस्ट भाषा और भद्दे चुटकुलों के लिए जीरो टॉलरेंस सुनिश्चित करने की बात कही है। जस्टिस चंद्रचूड़ बुधवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर SC की जेंडर सेंसिटाइजेशन और इंटरनल कम्पलेंट कमेटी के एक इवेंट में बोल रहे थे।
इस दौरान उन्होंने कोर्ट की भाषा, दलीलों और फैसलों में महिलाओं के लिए इस्तेमाल किए गए अनुचित शब्दों की शब्दावली जारी करने की घोषणा की।
CJI बोले- ये एक मिशन था, जो पूरा होने वाला है
CJI ने कहा कि यह डिक्शनरी एक मिशन था जिसे उन्होंने कुछ साल पहले शुरू किया था और अब वह पूरा होने वाला है। जल्द ही इसे रिलीज किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह डिक्शनरी इस बात पर भी रोशनी डालेगी कि न केवल समाज, कानूनी पेशे में बल्कि कामकाज की भाषा में भी महिलाओं के साथ क्यों और कैसे भेदभाव किया जाता है।
मुख्य न्यायाधीश ने बताया डिक्शनरी की जरूरत क्यों पड़ी...
कलकत्ता हाईकोर्ट की टीम ने तैयार की शब्दावली
CJI चंद्रचूड़ ने जिस कानूनी शब्दावली के बारे में बताया है, उसे कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया है। इस समिति में रिटायर्ड जस्टिस प्रभा श्रीदेवन और जस्टिस गीता मित्तल और प्रोफेसर झूमा सेन शामिल थे, जो फिलहाल कोलकाता में वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज में फैकल्टी मेम्बर हैं।
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CJI बोले- सच्चाई झूठी खबरों का शिकार हो गई
देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने फेक न्यूज पर चिंता जताते हुए कहा कि हम ऐसे दौर में रह रहे हैं जहां लोगों में सब्र और सहिष्णुता कम है। सोशल मीडिया के दौर में अगर कोई आपकी सोच से सहमत नहीं है तो वह आपको ट्रोल करना शुरू कर देता है। यह डर रहता है कि सोशल मीडिया पर लोग आपको ट्रोल करेंगे। और यकीन मानिए जज होकर हम इस ट्रोलिंग से बच नहीं पाते हैं। पढ़ें पूरी खबर...
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