कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद में सोमवार को नया मोड़ आया। महाराष्ट्र के दो मंत्रियों चंद्रकांत पाटिल और शंभूराज देसाई मंगलवार को कर्नाटक के बेलगाम दौरा करने का ऐलान कर चुके थे। इस पर कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने सोमवार को महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से कहा कि इससे कानून-व्यवस्था को खतरा है। मंत्रियों को यहां आने से रोकें। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर महाराष्ट्र के मंत्री बेलगाम आते हैं, तो कार्रवाई करेंगे। इस चेतावनी के बाद मंत्रियों का प्रस्तावित दौरा टल गया।
उधर, बोम्मई की भूमिका को लेकर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा और शिवसेना के उद्धव गुट के मंत्रियों का रुख बंटा नजर आ रहा है। इसके चलते विपक्ष शिंदे सरकार पर हमलावर हो गया है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘उक्त दोनों मंत्री बेलगाम जाने वाले थे। दौरे से विवाद पैदा हो सकता है। चूंकि सीमा विवाद का केस सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे में दोनों राज्यों को आपसी लड़ाई का मतलब नहीं है।’
दोनों राज्यों में भाजपा सरकार, लेकिन वोट बैंक मजबूरी
कर्नाटक में भाजपा की सरकार है और महाराष्ट्र में भी भाजपा समर्थित एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं। फिर भी दोनों राज्यों की सरकारों की मजबूरी है कि वे बेलगाम विवाद का निपटारा नहीं कर पा रही हैं। उलटा ये विवाद बढ़ता ही जा रहा है।
दरअसल, कई कन्नड़ संगठनों ने कर्नाटक सरकार को चेतावनी दी है कि यदि इस दौरे की अनुमति मिली तो किसी भी परिणाम के लिए तैयार रहें। दूसरी ओर महाराष्ट्र के कई संगठन इस मुद्दे पर आक्रामक हैं। महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) ने ही पत्र लिखकर मंत्रियों से यहां का दौरा करने का आग्रह किया था। वोट बैंक के चलते दोनों राज्यों की सरकार इस मुद्दे का निपटारा नहीं कर पा रही।
मंत्री देसाई की दो टूक- कर्नाटक सरकार को देंगे करारा जवाब
महाराष्ट्र के मंत्री देसाई ने कहा, ‘यदि कर्नाटक के सीएम बोम्मई हमें पैर न रखने की चेतावनी दे रहे हैं तो हम लोग चुप नहीं बैठेंगे। हम लोग कर्नाटक सरकार को जैसे का तैसा उत्तर देंगे।’ इससे पहले, कर्नाटक में कई कन्नड़ संगठनों ने महाराष्ट्र के नेताओं के दौरे का विरोध किया था। कर्नाटक रक्षण वेदिके ने बैठक के बाद कहा कि बेंगलुरू से 100 गाड़ियों में सवार होकर कन्नड़ कार्यकर्ता बेलगावी पहुंच रहे हैं। अन्य जिलों से भी दौरे का विरोध हो रहा था।
महाराष्ट्र का दावा- बेलगावी सहित 814 गांवों में मराठी भाषी लोग
आजादी के बाद से ही महाराष्ट्र बेलगावी, खानापुर, निप्पणी, नंदगाड और कारावार सहित 814 गांवों पर अपना दावा करता आया है। महाराष्ट्र के कई नेताओं का कहना है कि यहां के लोग मराठी भाषी हैं। जब भाषा के आधार पर पुनर्गठन हुआ था तो इन गावों को कर्नाटक की बजाय महाराष्ट्र में शामिल किया जाना चाहिए था। दूसरी ओर, कर्नाटक का कहना है कि राज्य की सीमाएं पुनर्गठन कानून के तहत तय हुईं थीं। फिर विवाद की गुंजाइश नहीं है।
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