भारतीय उद्योगपति साइरस पालोनजी मिस्त्री का रविवार को महाराष्ट्र के पालघर में हुए कार हादसे में निधन हो गया। चार महीने में मिस्त्री परिवार को यह दूसरा बड़ा सदमा लगा है। जून में ही साइरस के पिता पालोनजी मिस्त्री का 93 साल की उम्र में निधन हुआ था। साइरस एसयूवी कारों के दीवाने थे, वे खाली समय किताबें पढ़ने और गोल्फ खेलने में बिताते थे। साइरस फूडी भी थे और पार्टियों से दूर रहते थे।
आयरलैंड में जन्मे साइसर पारसी समुदाय से आते हैं। उनके पास आयरलैंड की भी नागरिकता है। साइरस के मुंबई के अलावा पुणे, लंदन में भी घर हैं। छुटि्टयों में वे यूरोप घूमने जाते थे। टाटा समूह के 100 साल के इतिहास में वे नौरोजी सकलातवाला के बाद दूसरे ऐसे शख्स थे, जिनका सरनेम टाटा नहीं था। उनके परदादा पालोनजी शापूरजी मिस्त्री ने 1800 में कंस्ट्रक्शन बिजनेस शुरू किया।
1924 में टाटा ग्रुप को मुंबई में अपना हेडक्वार्टर ‘बॉम्बे हाउस’ बनवाना था। शापूरजी ने इसका कॉन्ट्रैक्ट लिया। 1930 के बाद से एसपी ग्रुप ने टाटा ग्रुप के कंस्ट्रक्शन से जुड़े हुए अधिकांश काम अपने हाथ में ले लिए। टाटा समूह के सबसे ज्यादा 18.5% शेयर मिस्त्री के परिवार के पास हैं।
टाटा के उत्तराधिकारी बने, हटाए गए तो हक के लिए लड़े
24 अक्टूबर 2016 को मुंबई स्थित टाटा समूह के हेडक्वार्टर ‘बॉम्बे हाउस’ में एक बोर्ड मीटिंग होने वाली थी। मीटिंग शुरू होने से पहले मिस्त्री एक कमरे में बैठे थे, तभी रतन टाटा और नितिन नोहरिया कमरे में आए। नोहरिया हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के डीन थे और रतन टाटा के दोस्तों में एक थे। टाटा चुप रहे, लेकिन नितिन ने मिस्त्री से साफ तौर पर कह दिया कि या तो आप इस्तीफा दें या फिर बोर्ड मेंबर्स वोटिंग से आप पर कार्रवाई करे।
इस पर मिस्त्री ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। फिर बोर्ड मीटिंग में मिस्त्री को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। मिस्त्री दूसरे दरवाजे से अपने दोस्त अपूर्व दीवानजी के साथ बाहर निकल गए। मिस्त्री निष्कासन के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गए।
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