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दिल्ली शराब घोटाले में ED की 35 लोकेशन पर रेड:CM केजरीवाल बोले- कुछ नहीं मिलेगा, गंदी राजनीति के लिए अधिकारियों का समय बर्बाद किया जा रहा

नई दिल्ली8 महीने पहले
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दिल्ली की शराब नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को दिल्ली, पंजाब और हैदराबाद में छापेमारी शुरू की। यहां की 35 से ज्यादा लोकेशन पर ED की टीमें सुबह-सुबह पहुंचीं। इन राज्यों में शराब वितरकों, कंपनियों और उनसे जुड़ी संस्थाओं की तलाशी ली जा रही है। दिल्ली की शराब नीति पिछले साल 17 नवंबर को लागू की गई थी।

इस साल जुलाई में इसके खिलाफ CBI जांच शुरू होने के बाद CM अरविंद केजरीवाल ने खत्म कर दी थी। अब तक 103 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की जा चुकी है। वहीं अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर हमला किया और छापेमारी को गंदी राजनीति करार दिया।

केजरीवाल बोले- ऐसे देश कैसे तरक्की करेगा
केजरीवाल ने ट्वीट किया- 500 से ज़्यादा रेड, 3 महीनों से CBI/ED के 300 से ज़्यादा अधिकारी 24 घंटे लगे हुए हैं। एक मनीष सिसोदिया के खिलाफ सबूत ढूंढने के लिए। कुछ नहीं मिल रहा। क्योंकि कुछ किया ही नहीं। अपनी गंदी राजनीति के लिए इतने अधिकारियों का समय बर्बाद किया जा रहा है। ऐसे देश कैसे तरक्की करेगा?

इन रेड्स पर केजरीवाल का तंज

भाजपा ने कहा- नीति में किया भ्रष्टाचार
भाजपा ने भी नीति में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। भाजपा का मानना है कि इसमें खरीदारों को आकर्षित करने के लिए बड़ी छूट की पेशकश करने की अनुमति दी। हालांकि, AAP का कहना है कि उनकी नीति का उद्देश्य भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना था। साथ ही भाजपा पर आरोप लगाया कि राजनीतिक लक्ष्यों के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर पार्टी के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं।

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दिल्ली शराब घोटाले में ED की रेड; चेन्नई-मुंबई समेत 40 ठिकानों पर छापेमारी, 6 राज्यों में हुई कार्रवाई

दिल्ली की शराब नीति में हुए घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 16 सितंबर को देश के 6 राज्यों में एक साथ छापेमारी की थी। यह कार्रवाई आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और दिल्ली में 40 जगहों पर की गई थी। इस मामले में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर भी छापेमारी हो चुकी है। उनसे CBI ने कई दौर की पूछताछ भी की है। पढ़ें पूरी खबर...

दिल्ली, लखनऊ, समेत 30 ठिकानों पर ED ने की थी छापेमारी

इससे पहले 6 सितंबर को ED ने दिल्ली शराब घोटाला केस में 30 से ज्यादा जगहों पर छापे मारे थे। इसके अलावा लखनऊ, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना और मुंबई में कई शराब कारोबारियों के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई थी, लेकिन इनमें मनीष सिसोदिया या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी के घर टीम नहीं पहुंची थी। पढ़ें पूरी खबर...

सिसोदिया पर 17 अगस्त को दर्ज हुई थी FIR, इसमें 3 आबकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों के नाम

दिल्ली के एक्साइज स्कैम में डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के आवास समेत 7 राज्यों की 21 जगहों पर CBI ने छापेमारी की थी। छापेमारी करीब 12 घंटे तक चली। जांच एजेंसी के अफसर 19 अगस्त सुबह 8.30 बजे ही सिसोदिया के घर पहुंच गए थे।

केस से जुड़ी एक बड़ी बात सामने आई थी। दरसअल, CBI ने मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ छापे से दो दिन पहले यानी 17 अगस्त को ही FIR दर्ज कर ली थी। इसमें दावा किया गया था कि एक शराब कारोबारी ने मनीष सिसोदिया के नजदीकी को एक करोड़ रुपए दिए थे। पढ़ें पूरी खबर...

1 अगस्त से लागू की गई थी शराब नीति
डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने 1 अगस्त 2022 को ऐलान किया था कि पुरानी शराब नीति लागू होगी। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा- केंद्र सरकार ने इस पॉलिसी में CBI की एंट्री करा दी, जिससे कोई भी ठेका लेने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए हम नई व्यवस्था लागू नहीं करेंगे।

डिप्टी CM ने कहा था कि नई एक्साइज पॉलिसी से भाजपा का भ्रष्टाचार खत्म हो जाता और साल में 9,500 करोड़ का राजस्व आता। वर्तमान में दिल्ली में 468 शराब दुकानें चल रही हैं। भाजपा का मकसद है कि दिल्ली में अवैध शराब बिके।

इस नई शराब नीति के तहत दिल्ली सरकार ने ये 5 प्रमुख फैसले लिए…

  • पूरी दिल्ली को 32 जोन में बांटकर हर जोन में 27 लिकर वेंडर रखने की बात कही गई।
  • इसमें फैसला किया गया कि दिल्ली सरकार अब शराब बेचने का काम नहीं करेगी।
  • अब दिल्ली में शराब बेचने के लिए सिर्फ प्राइवेट दुकानें होंगी।
  • हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी जाएगी।
  • शराब दुकानों के लिए लाइसेंस देने की प्रोसेस को आसान और फ्लेक्सिबल बनाया जाएगा।

नई शराब नीति पर इन 4 नियमों को तोड़ने के आरोप लगे हैं...

  • GNCTD अधिनियम 1991
  • व्यापार नियमों के लेनदेन (TOBR)-1993
  • दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009
  • दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010

इसी वजह से मुख्य सचिव ने आबकारी विभाग से जवाब भी मांगा था। जब 8 जुलाई को इस संबंध में उपराज्यपाल को फाइल भेजी गई तब जाकर इस मामले पर बवाल मचाना शुरू हुआ।