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  • Delhi NCR Air Pollution | Delhi Air Quality Index (AQI) And Air Pollution [November 3rd, 2022]

दिल्ली में सांस लेना फिर मुश्किल:418 तक पहुंचा AQI, ट्रकों की एंट्री बैन, नोएडा में 8 वीं तक की क्लासेस ऑनलाइन

नई दिल्ली5 महीने पहले
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पराली जलने और गाड़ियों से हो रहे प्रदूषण की वजह से दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली होने लगी है। नतीजतन गुरुवार सुबह एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 418 तक पहुंच गया और पूरी दिल्ली घने कोहरे की चपेट में आ गई। AQI हवा की क्वालिटी मापने का पैमाना है, जो 200 तक सामान्य माना जाता है। 400 से ऊपर होने पर इसे बेहद गंभीर माना जाता है। इसके बाद एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमिशन ने दिल्ली और एनसीआर में CNG से चलने वाले और इलेक्ट्रिक को छोड़कर बाकी ट्रकों की एंट्री बैन कर दी है।

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण नोएडा प्रशासन ने फैसला लिया है कि शुक्रवार से कक्षा एक से लेकर आठ तक के बच्चों की क्लासेस ऑनलाइन लगेंगी।

लोगों ने एक बार फिर इसकी शिकायत शुरू कर दी है। एक महिला ने कहा कि उनके बच्चे को सांस लेने में दिक्कत आ रही है। कुछ लोग सरकार से स्कूल बंद करने की अपील कर रहे हैं। हालांकि, कुछ का कहना है कि स्कूल बंद करना इसका इलाज नहीं है।

आगे जानिए दिल्ली-NCR में AQI और इस पर सरकार क्या कर रही। इससे पहले हमारे पोल पर आप अपनी राय दे सकते हैं...

दिल्ली के इन इलाकों में 400 के पार AQI
आंनद विहार में AQI 449, मुंडका में AQI 422, वजीरपुर में AQI 434, नरेला में AQI 429, बवाना में AQI 447, अलीपुर में AQI 419, अशोक विहार में AQI 433, जहांगीरपुरी में AQI 455 और इंडिया गेट AQI 419 दर्ज किया गया है। वहीं, मध्य दिल्ली में मंदिर मार्ग जैसे कुछ स्टेशनों को छोड़कर राजधानी के अधिकांश स्टेशनों में AQI 300 से ऊपर है। SAFAR के आंकड़ों के अनुसार, मॉडल टाउन के धीरपुर में AQI 457 दर्ज किया गया है। IGI एयरपोर्ट (टी3) के पास AQI भी आज 346 पर 'बहुत खराब' श्रेणी में रहा।

दिल्ली-NCR में AQI और एयर पॉल्यूशन की 4 तस्वीरें...

सफर के अनुसार, अगले दो दिन में दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत खराब और गंभीर श्रेणी में रह सकता है।
सफर के अनुसार, अगले दो दिन में दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत खराब और गंभीर श्रेणी में रह सकता है।
दिल्ली में दमघोंटू हवा के बीच बच्चे स्कूल जाने पर मजबूर हैं।
दिल्ली में दमघोंटू हवा के बीच बच्चे स्कूल जाने पर मजबूर हैं।
दिल्ली में जहरीली हवा से सांस संबंधी बीमारियों में 80% का इजाफा हुआ है।
दिल्ली में जहरीली हवा से सांस संबंधी बीमारियों में 80% का इजाफा हुआ है।
नोएडा में सुबह से स्मॉग की चादर छाई हुई है।
नोएडा में सुबह से स्मॉग की चादर छाई हुई है।

सरकार ने क्या कदम उठाए...

  • ऐसे में कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) का तीसरा चरण लागू कर दिया है।
  • अगले आदेश तक सभी निर्माण कार्य और विध्वंस गतिविधियों को रोक दिया है।
  • प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले सारे कामों पर रोक लग गई है।
  • दिल्ली-NCR में कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन एक्टिविटी बंद हो जाएगी।
  • सड़कों की सफाई होगी और रोज पानी की छिड़काव होगा।

ऐहतियातन क्या किया जा रहा है...
एयर पॉल्यूशन बढ़ने से एक निजी स्कूल ने फिजिकल क्लासेस बंद कर दी हैं। स्कूल में शुक्रवार से ऑनलाइन क्लास होगी। सूत्रों के अनुसार, दूसरे स्कूल भी इसी राह पर हैं। यह फैसला NCPCR की ओर से दिल्ली सरकार को लिखे पत्र के बाद लिया गया है। इसमें एयर क्वालिटी सुधरने तक स्कूलों को बंद रखने का आग्रह किया गया है।

शिकायत, अपील और सलाह...

शिकायत: दिल्ली में दमघोंटू हवा से लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। पेरेंट्रस का कहना है कि स्कूल बंद होने चाहिए, क्योंकि बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। वहीं, कुछ पेरेंट्स का कहना है कि स्कूल बंद करना समाधान नहीं है, क्योंकि कोरोना के चलते भी पढ़ाई में नुकसान हुआ था। सरकार को एयर क्वालिटी को सुधारने पर फोकस करना चाहिए।

अपील: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने दिल्ली सरकार से हवा की गुणवत्ता में सुधार होने तक स्कूलों को बंद करने का आग्रह किया है। इसके अलावा पराली जलाने पर भी रोग की मांग की जा रही है।

सलाह: डॉक्टर्स ने लोगों को सावधानी बरतने के लिए कहा है। अस्थमा के मरीजों को कई तरह की दिक्कतों हो सकती है। साथ ही सुबह शाम की सैर कम कर करने की सलाह दी है।

पार्टिकुलेट मैटर को जानना जरूरी...
PM 2.5: हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) इंसान के फेफड़ों के लिए जहर से कम नहीं हैं। ये हवा में मौजूद ऐसे कण होते हैं, जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। इनकी वजह से समय से पहले ही मौत भी हो सकती है। WHO के मुताबिक, PM 2.5 हवा में 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए, लेकिन पूरे देश में पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा इससे ज्यादा है।

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