डॉक्टर सीवी आनंद बोस को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी अजय कुमार सिंह ने गुरुवार को नियुक्ति से जुड़ा आदेश जारी किया। डॉ. बोस 1977 बैच के IAS और मोदी सरकार के लिए विकास एजेंडा तैयार करने वाले समूह के अध्यक्ष रह चुके हैं। मोदी सरकार की सस्ती हाउसिंग स्कीम इन्हीं की देन है। इससे पहले जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे, जुलाई में उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने के बाद पद छोड़ दिया था। उसके बाद वे चुनाव जीतकर उपराष्ट्रपति भी बन गए।
मणिपुर के राज्यपाल को मिला था अतिरिक्त प्रभार
जगदीप धनखड़ करीब 3 साल तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। कई मौकों पर धनखड़ ने राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर सीएम ममता बनर्जी से जवाब-तलब भी किया। जगदीप धनखड़ के पद छोड़ने के बाद मणिपुर के राज्यपाल एलए गणेशन को पश्चिम बंगाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। नई नियुक्ति के साथ ही अब गणेशन इस प्रभार से मुक्त हो जाएंगे।
कौन हैं डॉक्टर आनंद बोस
77 साल के डॉक्टर बोस 1977 बैच के रिटायर्ड IAS हैं। वह लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन मसूरी के पहले फेलो भी हैं, जो देश के शीर्ष सिविल सेवकों को प्रशिक्षित करता है। डॉ. बोस प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप भी ले चुके हैं। सिविल सर्विस के दौरान वे केरल के मुख्यमंत्री के सचिव और शिक्षा, वन-पर्यावरण, श्रम, सामान्य प्रशासन और राजस्व बोर्ड जैसे विभिन्न मंत्रालयों में प्रधान सचिव के रूप में काम कर चुके हैं।
अंग्रेजी, मलयालम और हिंदी में 40 किताबें लिख चुके हैं
डॉक्टर बोस एक बेहतरीन राइटर और स्तंभकार भी हैं। उन्होंने उपन्यास, लघु कथाएं, कविताएं और निबंध सहित अंग्रेजी, मलयालम और हिंदी में 40 किताबें लिखी हैं। उनकी कुछ किताबें बेस्ट सेलर भी बनीं। डॉ. बोस को कई क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए 29 अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं।
विश्वविद्यालय में 15 स्वर्ण पदक जीते
आवास के क्षेत्र में उनके प्रयासों की मान्यता में यूनाइटेड नेशन ने उनकी पहल को चार बार 'ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस' के रूप में चुना। भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय आवास पुरस्कार से सम्मानित किया था। डॉ. बोस उस समूह के अध्यक्ष थे, जिसने मोदी सरकार के लिए विकास एजेंडा तैयार किया था। लोगों के लिए किफायती आवास की उनकी अवधारणा को सरकार अपना लिया। जब डॉ. बोस विश्वविद्यालय में थे तो उन्होंने 15 स्वर्ण पदक सहित 100 से अधिक पुरस्कार जीते। वे लगातार 3 सालों तक केरल विश्वविद्यालय के बेस्ट वक्ता रहे।
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