द्रौपदी मुर्मू काे राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के बाद ओडिशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर और ऊपरबेड़ा गांव में उत्सव जैसा माहौल है। टाटानगर रायरंगपुर रोड पर मोहलडिहा बस्ती में मुर्मू का दो मंजिला मकान है। यहां सुबह से ही लोगों की भीड़ उमड़ रही थी। रायरंगपुर से 15 किमी दूर ऊपरबेड़ा गांव में उनका मायका है। वहां भी लोग जुटे रहे। मुर्मू के घर को सीआरपीएफ ने सुरक्षा घेरे में ले लिया है। उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी गई है। बुधवार काे मुर्मू के घर के बाहर उनके समधी धर्माचरण हांसदा पसीने से तरबतर मिले। बोले- घर में तो गए, पर मिल नहीं पाए। लेकिन, कोई गम नहीं। अब हमारी समधन के रूप में देश को पहली आदिवासी राष्ट्रपति मिलने जा रही हैं।
मुर्मू ने मंदिर में झाड़ू भी लगाई
मुर्मू ने सुबह नारंगी साड़ी पहनकर भारी सुरक्षा के बीच जाहेर स्थान पर पूजा की। उसके बाद शिव मंदिर में पूजा की। मंदिर में झाड़ू भी लगाई। नंदी महाराज के कान में मन्नतें कही और घर लौट गईं। दोपहर 11 बजे से ढाई बजे घर पर रहीं। इस दौरान सड़क से लेकर घर के अंदर तक फोर्स तैनात रही। किसी को भी मिलने का समय नहीं मिला। उनके करीबी भी बाहर खड़े रहे। दिल्ली से पहले उन्हें सड़क मार्ग से भुवनेश्वर जाना था। शुभमुहूर्त पर घर के मुख्य द्वार से लोगों का अभिवादन करते हुए 2:56 बजे नीली साड़ी पहनकर दिल्ली रवाना हुईं। शुक्रवार को पर्चा भर सकती हैं।
ऊपरबेड़ा काे बनवाया डिजिटल गांव
ऊपरबेड़ा गांव पूरी तरह से डिजिटल है। हर घर का एक बैंक खाता जरूर है। हर घर में पानी की पाइपलाइन है। सभी के यहां शौचालय है। पीएम आवास भी बने है। यहां के लोग इसका पूरा श्रेय मुर्मू को देते हैं।
शाकाहार की कट्टर पक्षधर हैं
मुर्मू शाकाहारी हैं। झारखंड की राज्यपाल रहते हुए उन्होंने राजभवन में मांसाहार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया था। पूरे परिसर में रहने वाले कर्मियों के लिए भी मांस-मछली प्रतिबंधित थी। मुर्मू आदिवासियों और छात्राओं के हितों के लिए काम करती रही हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.