केंद्र सरकार ने गुरुवार को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के अपॉइंटमेंट की ओरिजिनल फाइल सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। सुप्रीम कोर्ट CEC और EC की नियुक्ति प्रक्रिया पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से अपॉइंटमेंट की फाइल मांगी थी।
आज फाइल देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- चुनाव आयुक्त के अपॉइंटमेंट की फाइल बिजली की तेजी से क्लियर की गई। यह कैसा मूल्यांकन है। सवाल उनकी योग्यता पर नहीं है। हम अपॉइंटमेंट प्रोसेस पर सवाल उठा रहे हैं।
5 जजों की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा
संविधान पीठ के सामने हुई लंबी बहस के बाद बेंच ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस केएम जोसेफ की अगुआई वाली बेंच में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
पहले पढ़ें चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति पर बवाल क्यों
दरअसल, 1985 बैच के IAS अरुण गोयल ने उद्योग सचिव पद से 18 नवंबर को VRS लिया था। इस पद से उन्हें 31 दिसंबर को रिटायर होना था। गोयल को 19 नवंबर को चुनाव आयुक्त अपॉइंट कर दिया गया। वह मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के साथ निर्वाचन आयोग का हिस्सा रहेंगे।
इस नियुक्ति पर सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने एक याचिका दायर कर सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार से इस मामले पर सुनवाई शुरू की है। गुरुवार को सुनवाई का तीसरा दिन है।
कोर्ट CEC और EC की नियुक्ति की प्रक्रिया पर 23 अक्टूबर 2018 को दायर की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिका में कहा गया था कि CBI डायरेक्टर या लोकपाल की तरह ही केंद्र एकतरफा चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है। याचिका में इन नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम सिस्टम की मांग की गई है।
अब पढ़ें संवैधानिक बेंच के कमेंट्स...
अटॉर्नी जनरल ने अपॉइंटमेंट फाइल मांगने पर ऐतराज जताया था
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान गोयल की नियुक्ति से संबंधित फाइल को देखने की कोर्ट की इच्छा पर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने आपत्ति जताई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति खारिज कर दी। वेंकटरमणि ने कहा कि कोर्ट चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति के बड़े मुद्दे को सुन रहा है। ऐसे में वह प्रशांत भूषण द्वारा उठाए गए एक व्यक्तिगत मामले को नहीं देख सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सेशन जैसा कैरेक्टर चाहिए, कार्यकाल ही पूरा नहीं होता
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त, यानी CEC की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि 1990 से 1996 के बीच CEC रहे टीएन शेषन के बाद किसी भी मुख्य चुनाव आयुक्त को अपने पूरे कार्यकाल का मौका नहीं मिला। क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार को CEC बनाए जाने वाले व्यक्ति के जन्म की तारीख पता होती है? वर्तमान सरकार के समय ही नहीं, UPA की सरकार के समय भी होता आया है।
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की 2 अहम टिप्पणियां
1. सबसे काबिल आदमी ही इस पद पर पहुंचे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान में चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और दो इलेक्शन कमिश्नरों (ECs) के कंधों पर महत्वपूर्ण शक्तियों का भार है। इन जिम्मेदार पदों पर नियुक्ति के समय चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाना चाहिए, ताकि बेस्ट पर्सन ही इस पद पर पहुंचे। यह बहुत अहम हो जाता है कि आखिर बेस्ट अधिकारी का सिलेक्शन और उसकी नियुक्ति कैसे की जाती है।
2. पिछले 70 साल से CEC की नियुक्ति का कानून नहीं
बेंच ने कहा था कि संविधान में बताई प्रक्रिया के तहत इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति नहीं होने का परिणाम अच्छा नहीं होता। संविधान के अनुच्छेद 324 (2) में CEC और ECs की नियुक्ति के लिए कानून बनाने की बात कही गई है। पिछले सात दशकों में नियमों के तहत नियुक्ति नहीं हुई हैं।
कॉलेजियम सिस्टम से CEC की नियुक्ति पर सुनवाई कर रहा कोर्ट
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