• Hindi News
  • National
  • Every Woman And Man Working In This Village, Women Learned Fashion Designing And Made Models Of Knitting, Earning More Than Men

इस गांव में हर महिला-पुरुष कामकाजी, महिलाओं ने फैशन डिजाइनिंग सीखकर बुनाई काे माॅडर्न बनाया, कमाई पुरुषों से ज्यादा

3 वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक
2008 में महिलाओं ने बुनाई को बिजनेस मॉडल बनाना शुरू किया था। - Dainik Bhaskar
2008 में महिलाओं ने बुनाई को बिजनेस मॉडल बनाना शुरू किया था।
  • बुनाई और झूम खेती के अनूठे प्रयोगों से महिलाओं ने 16 गांवों को आत्मनिर्भर बनाया
  • नगालैंड के चिजामी गांव में महिलाओ की न्यूनतम मजदूरी भी पुरुषों के समान 450 रु.

कोहिमा से मनीषा भल्ला. दुनिया के जिन देशों में महिला कामगार सबसे कम हैं, उनमें भारत दसवें नंबर पर है। वहीं 2019-20 के आर्थिक सर्वे के मुताबिक देश में सबसे कम न्यूनतम मजदूरी नगालैंड में 136 रुपए है। इन दोनों ही तथ्यों से उलट उदाहरण है- नगालैंड के फेक जिले का चिजामी गांव। यहां सभी पुरुष ही नहीं, हर महिला भी कामकाजी है। महिलाओं की न्यूनतम मजदूरी भी पुरुषों के ही समान 450 रुपए है।


उन्होंने बुनाई के परंपरागत हुनर को आज के दौर के हिसाब से बदला और कमाई का जरिया बना लिया। इसके लिए इन्होंने मुंबई और दिल्ली के फैशन डिजाइनर्स से ट्रेनिंग तक ली। आज इनके बनाए शॉल, मफलर, पर्स, वॉल हैंगिंग मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु के बाजारों में पहुंच रहे हैं। हैंडीक्राफ्ट्स एंड हैंडलूम एक्सपोर्ट कॉर्पोरेशन यह सामान विदेश भी भेज रहा है। यहां महिलाओं की कमाई गांव के पुरुषों की कमाई से अधिक हो गई है। इनका ‘चिजामी वीव्स’ ब्रांड बन चुका है।

ये मेहनती महिलाएं तड़के 3-4 बजे उठ जाती हैं
नॉर्थ-ईस्ट सोशल रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. हेक्टर डिसूजा बताते हैं, ‘ये मेहनती महिलाएं तड़के 3-4 बजे उठ जाती हैं। सुबह लूम पर बुनाई, दोपहर में खेत में काम और शाम को फिर बुनाई। इस बीच परिवार और रसोई का काम भी। 2008 में इन्होंने बुनाई को बिजनेस मॉडल बनाना शुरू किया था। यह आइडिया नॉर्थ-ईस्ट नेटवर्क संस्था की सेनो सुहाह का था। सेनो बताती हैं कि हर घर में बुनाई होती है। आसपास के 16 गांवों की 600 महिलाएं भी हमसे जुड़ गई हैं। सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपए को पार कर गया है। ऐतशोले थोपी बताती हैं कि यहां हर महिला कमाती है। अपने फैसले खुद करती हैै। हमने खेती में भी नए तरीके अपनाए हैं। करीब 61 किस्म के अनाज और सब्जियों के बीजों का बैंक बनाया है। झूम खेती को अपनाया है। झूम यानी सामूहिक काम। इसमें सब मिलकर काम करते हैं और फसल भी समान रूप से बंटती है।

महिलाओं को देश के औसत से 22% ज्यादा पारिश्रमिक
यहां समान पारिश्रमिक के लिए महिलाओं ने 7 साल संघर्ष किया। इसके बाद 2014 में ग्राम परिषद ने महिला-पुरुष मानदेय समान किया। महिला-पुरुष दोनों को खेती में 400 से 450 रुपए पारिश्रमिक मिलता है। बल्कि देश में महिला किसानों को पुरुषों से 22% कम पारिश्रमिक मिलता है।

खबरें और भी हैं...