प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व IAS और एक्टिविस्ट हर्ष मंदर के दिल्ली स्थित घर और दफ्तर पर छापा मारा है। दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेन्स विंग की तरफ से दर्ज की गई FIR के आधार पर ED ने गुरुवार को यह कार्रवाई की है। इससे करीब तीन घंटे पहले ही हर्ष मंदर और उनकी पत्नी जर्मनी के लिए रवाना हो गए थे और ED ने उनके पीछे से छापा मारा है। ये कार्रवाई चिल्ड्रन होम्स में पैसों की गड़बड़ी के मामले में की गई है। बता दें हर्ष मंदर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कलेक्टर भी रह चुके हैं।
हर्ष मंदर गुरुवार सुबह 3 बजे बर्लिन के लिए रवाना हो गए थे। वे बर्लिन की रॉर्बट बोश्च एकेडमी में 6 महीने की फेलोशिप के लिए गए हैं। इसके करीब 3 घंटे बाद ED ने उनके वसंत कुंज स्थित घर और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज में उनके ऑफिस में एक साथ छापे मारे। वहीं उनके NGO की तरफ से चलाए जा रहे दो बालगृहों पर भी रेड की गई।
ये है पूरा मामला
दिल्ली पुलिस ने नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) के निर्देश पर FIR दर्ज की थी। NCPCR के मुताबिक, दिल्ली के महरौली इलाके में हर्ष मंदर के दो बालगृहों- उम्मीद अमन घर (लड़कों के लिए) और खुशी रेनबो होम (लड़कियों के लिए) में पैसों की गड़बड़ी पाई गई है।
1980 में बने IAS अफसर
मंदर 1980 में IAS अफसर बने। इस दौरान उन्हें मध्यप्रदेश और फिर छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग मिली। 2002 में गुजरात दंगों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और NGO में काम करना शुरू किया। वे राइट टू फूड कैंपेन में सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल कमिश्नर के तौर पर भी काम कर चुके हैं और UPA सरकार के दौरान केंद्र सरकार की नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य रह चुके हैं। फिलहाल वे नई दिल्ली के सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के डायरेक्टर हैं।
मोदी सरकार के आलोचक रहे हैं हर्ष मंदर
हर्ष मंदर मौजूदा सरकार के कड़े आलोचक रहे हैं। उन्होंने दिल्ली दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस दाखिल किया था। उन्होंने दंगों की जांच के लिए SIT गठित कराने की मांग की थी। वह यह भी कह चुके हैं कि अगर सिटिजन अमेंडमेंट बिल पास हुआ तो वे खुद को मुस्लिम के तौर पर रजिस्टर करा लेंगे।
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