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कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन में शामिल एक किसान की शुक्रवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि 57 साल का यह किसान गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल था। इधर, 4 जनवरी को केंद्र के साथ होने वाली बैठक से पहले किसानों ने शुक्रवार को एक अहम बैठक की।
किसान नेताओं ने कहा कि अगर इस बैठक में हल नहीं निकला, बातचीत सही दिशा में नहीं गई और सरकार ने हमारे पक्ष में ठोस फैसला नहीं लिया तो हम हरियाणा में मॉल और पेट्रोल पंप बंद करेंगे। इसके अलावा 6 जनवरी को हम ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर बैठे किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे।
किसान बोले- अब तक हमारे 5% मुद्दों पर ही चर्चा हुई
किसान नेताओं ने कहा कि हमने जो भी मुद्दे उठाए हैं, अब तक हुई बैठकों में उनमें से केवल 5% पर चर्चा हुई है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि किसानों के 50% मुद्दों पर बात हो चुकी है। 4 में से 2 मसले सुलझ चुके हैं और दो अगली बैठक में सुलझा लिए जाएंगे। इस बयान पर शुक्रवार को ही किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा था कि सरकार ने पराली और बिजली कानून से जुड़ी हमारी 2 मांगें मान ली हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि हम बची हुई 2 मांगों से पीछे हट जाएंगे।
अपडेट्स
केंद्र ने किसानों से विकल्प तलाशने को कहा था
ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डिनेशन कमेटी ने कहा था कि केंद्र ने किसानों से कानून वापस लेने की मांग का विकल्प मांगा था, जोकि संभव नहीं है। नए कानूनों से एग्रीकल्चर मार्केट, किसान की जमीन और फूड चेन पर कॉरपोरेट का कंट्रोल हो जाएगा।
गुरुवार को सरकार ने 2 मांगें मान ली थीं
किसानों के 4 बड़े मुद्दे हैं। पहला- सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। दूसरा- सरकार यह लीगल गारंटी दे कि वह मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP जारी रखेगी। तीसरा- बिजली बिल वापस लिया जाएगा। चौथा- पराली जलाने पर सजा का प्रावधान वापस लिया जाए।
गुरुवार को पांच घंटे की बातचीत के बाद बिजली बिल और पराली से जुड़े दो मुद्दों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच बात बन गई। इसके बाद किसानों ने 31 दिसंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टाल दिया। कृषि कानून और MSP पर अभी भी मतभेद बरकरार हैं।
2 मांगों पर 4 जनवरी को बैठक
अब किसानों और केंद्र सरकार के बीच 4 जनवरी को आठवें दौर की बातचीत होनी है। इसमें किसानों की दो कृषि कानून को वापस लेने और MSP की लीगल गारंटी की मांगों पर चर्चा होगी। बता दें कि किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। पंजाब में तो इससे पहले से आंदोलन कर रहे थे।
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