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आर्मी-एयरफोर्स के बाद नेवी करेगी ब्रह्मोस की तैनाती:समुद्र में लोकेशन वहां रहेगी, जहां चीन-पाक से ज्यादा खतरा

नई दिल्ली2 महीने पहले
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यह तस्वीर 5 मार्च की है। नेवी ने आत्मनिर्भर निर्भर भारत कार्यक्रम के तहत अरब सागर में ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। - Dainik Bhaskar
यह तस्वीर 5 मार्च की है। नेवी ने आत्मनिर्भर निर्भर भारत कार्यक्रम के तहत अरब सागर में ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया था।

आर्मी और एयरफोर्स के बाद अब इंडियन नेवी रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण समुद्री इलाकों में ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती करेगी। नौसेना के रिटायर्ड चीफ वाइस एडमिरल सतीश एन घोरमाडे ने शनिवार को न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में बताया कि ब्रम्होस की तैनाती उन इलाकों में होगी जहां चीन और पाकिस्तान से सबसे ज्यादा खतरा है।

बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने 30 मार्च को ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 1700 करोड़ रुपए का समझौता किया था। इसके तहत समुद्री तटों के पास नेक्स्ट जेनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी (NGMMCB-LR) और ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात करने का फैसला हुआ था। 2027 तक नेवी को इनकी डिलिवरी शुरू हो जाएगी।

घोरमाडे ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने हाल ही में 17 वॉरशिप के प्रपोजल को मंजूरी दी है। इनमें छह नेक्स्ट-जेन मिसाइल पोत और 11 नेक्स्ट-जेन ऑफशोर पेट्रोलिंग जहाज (OPV) सहित दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव शामिल हैं। यह भारतीय नौसेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए बड़ा फैसला है।

ये ब्रह्मोस मिसाइल बैटरीज की तस्वीर हैं। इसमें कई मिसाइल रहती हैं। ब्रह्मोस के नए वर्जन वाली मिसाइलों को ही समुद्री इलाकों में तैनात किया जाएगा।
ये ब्रह्मोस मिसाइल बैटरीज की तस्वीर हैं। इसमें कई मिसाइल रहती हैं। ब्रह्मोस के नए वर्जन वाली मिसाइलों को ही समुद्री इलाकों में तैनात किया जाएगा।

घोरमाडे ने कहा कि नेक्स्ट जेनरेशन पेट्रोलिंग जहाजों की डील से हिंद महासागर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में नेवी की निगरानी क्षमता बढ़ेगी। इससे हमें मिशन बेस्ड डिप्लॉयमेंट को ट्रैक और मॉनिटरिंग करने में मदद मिलेगी। 11 OPV हमें 2026 तक मिल जाएंगे। इनका निर्माण गोवा शिपयार्ड और कुछ अन्य कंपनियों को दिया गया है।

इन जहाजों के नेवी में आने से नेवी की युद्ध क्षमता और मजबूत होगी। इसके अलावा एंटी-पायरेसी, काउंटर-इनफिल्ट्रेशन, एंटी-पोचिंग, एंटी-ट्रैफिकिंग, नॉन-कॉम्बैटेंट इवैक्यूएशन ऑपरेशंस, सर्च एंड रेस्क्यू जैसे ऑपरेशन में फायदा होगा।​​​​​​​

चीन-पाक के खतरों को बेअसर करेगा ब्रह्मोस
सतीश एन घोरमाडे ने कहा कि समुद्री इलाकों में चीन और पाकिस्तान के खतरे की निगरानी अब ब्रह्मोस मिसाइल करेंगे। ये सभी ब्रह्मोस के अपडेटेड यानी नई तकनीक से लैस रहेंगे। यह दुश्मन देशों से आने वाले किसी भी खतरे को बेअसर कर देंगे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस के नए वर्जन की खास बात है कि यह समुद्र के अलावा जमीन और हवा पर भी निशाना लगा सकता है।

कैसे नाम पड़ा ब्रह्मोस?
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज NPOM के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टेल्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है।

कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि इस मिसाइल का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि ये एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज गति की मिसाइल है।

इस साल रिपब्लिक डे परेड में स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल ने हिस्सा लिया था।
इस साल रिपब्लिक डे परेड में स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल ने हिस्सा लिया था।

ब्रह्मोस पर एक नजर

  • ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है।
  • ब्रह्मोस रूस की P-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को सौंपा जा चुका है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल के कई वर्जन मौजूद हैं। ब्रह्मोस के लैंड-लॉन्च, शिप-लॉन्च, सबमरीन-लॉन्च एयर-लॉन्च वर्जन की टेस्टिंग हो चुकी है।
  • जमीन या समुद्र से दागे जाने पर ब्रह्मोस 290 किलोमीटर की रेंज में मैक 2 स्पीड से (2500किमी/घंटे) की स्पीड से अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है।
  • पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल को पानी के अंदर से 40-50 मीटर की गहराई से छोड़ा जा सकता है। पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल दागने की टेस्टिंग 2013 में हुई थी।

कितनी खतरनाक हैं ब्रह्मोस मिसाइल

  • भारत के पास रूस के सहयोग से निर्मित एडवांस सुपरसॉनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल है। यह 400 किलोमीटर दूर अपने टारगेट को निशाना बनाने में सक्षम है। इसके अलावा भारत एक हाइपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-2 पर भी काम कर रहा है जो 2024 तक तैयार हो सकती है। इसकी क्षमता एक हजार किलोमीटर तक हो सकती है।
  • ब्रह्मोस मिसाइलें भी चार तरह की हैं। इनमें सतह से सतह, आसमान से सतह, समुद्र से सतह और समुद्र के नीचे मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं।
  • ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज रफ्तार मिसाइलों में शामिल है। ये जमीन से कम ऊंचाई पर बहुत तेज स्पीड से उड़ान भरती है जिसकी वजह से इसे एंटी-मिसाइल सिस्टम से पकड़ना आसान नहीं होता है। यही वजह है कि ये मिसाइल कम समय में लंबी दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
  • पाकिस्तान के पास बाबर और राद नाम की सबसॉनिक मिसाइलें हैं जो सतह से सतह पर मार करने में सक्षम हैं।

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