मनु की नगरी मनाली में नौ गांवों के लोग देव आदेश में बंध गए हैं। मकर संक्रांति की सुबह से देव आदेश लागू हो गए हैं। दरअसल, कुल्लू जिला के गोशाल गांव में मान्यता है कि गांव के आराध्य देव गौतम-व्यास ऋषि और कंचन नाग देवता इन दिनों तपस्या में लीन हो जाते हैं। देवताओं को शांत वातावरण मिले, इसके लिए शोर नहीं करने को कहा जाता है। ऐसे में 42 दिन तक मंदिर में न पूजा होगी और न घंटियां बजेंगी। आसपास लगते 8 गांव भी परंपरा का निर्वाह करेंगे। इन गांवों में भी अब न रेडियो बजेगा, न टीवी चलेगा। कुकर में भी लोग खाना नहीं पका सकेंगे। सोमवार को मिट्टी छानकर देवता की पिंडी में मृदा लेप लगाई जाएगी। 42 दिन बाद देवता लौटेंगे तो इसे हटाया जाएगा।
लेप से कुमकुम निकला तो चेहरे खिलेंगे, कोयला निकला तो सबको चिंता होगी
देव आदेश के चलते उझी घाटी के 9 गांव गोशाल गांव सहित कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ तथा मझाच के लोग लोहड़ी से अगले दिन यानी मकर संक्रांति 14 जनवरी से 26 फरवरी तक किसी उत्सव का आयोजन नहीं करेंगे। न ही खेत-खलिहानों में काम करेंगे।
देवता की पिंडी से कुमकुम, कोयला व बाल जैसी चीजें निकलना बाहरी दुनिया के लिए किसी अचंभे से कम नहीं, लेकिन घाटी के लोगों के लिए यह परंपरा और आस्था है। कुमकुम निकला तो घाटी वासी खुशी से झूम उठेंगे। अगर कोयला व बाल निकले तो लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आएंगी।
मृदा लेप से निकलने वाली वस्तु का देव समाज में अर्थ
मान्यता है लेप से निकली चीजें साल की घटनाओं का संकेत देती हैं:
फूल: दिन शुभ होने का संकेत
सेब के पत्ते: सेब की फसल बेहतर होने का संकेत
कोयला: आगजनी के संकेत
कुमकुम: शादियां अधिक होंगी।
पत्थर व रेत बजरी के टुकड़े: नदी में बाढ़ आने का संकेत
मानव के बाल: लोगों को नुकसान पहुंचने का संकेत
भेड़-बकरी के बाल: पशुओं को नुकसान पहुंचने का संकेत।
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