गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग गुरुवार शाम 5 बजे पूरी हो गई। 19 जिलों की 89 सीटों के लिए मैदान में उतरे 788 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। पहले चरण में 63.31 फीसदी लोगों ने मतदान किया। यह आंकड़ा 2017 में हुए चुनाव से 5.20% कम रहा। इतना ही नहीं इस बार 10 साल की सबसे कम वोटिंग हुई।
पिछली बार 4% कम वोटिंग से भाजपा की 15 सीट कम हुई थीं
बीते चुनाव में 2012 की तुलना में करीब 4% कम वोटिंग से भाजपा को इस रीजन में 15 सीटों का नुकसान हुआ था। इस रीजन में पाटीदार, ओबीसी और आदिवासी वोट निर्णायक माने जाते हैं। इन 89 सीटों में 32 पाटीदार बहुल और 16 आदिवासी बहुल सीटें हैं। सिर्फ दो जिलों नर्मदा और तापी में 70% से ज्यादा वोटिंग हुई है। 9 जिलों में वोटिंग 50% से 60% के बीच हुई है।
ओवरऑल वोटिंग को देखें महानगरों, पाटीदारों के इलाकों में कम, लेकिन आदिवासियों के इलाकों में ज्यादा वोटिंग हुई है। हालांकि 2017 के मुकाबले एक भी जिले में ज्यादा वोटिंग नहीं हुई है। अहम यह है कि शहरी क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है। लेकिन शहरों में भी 11% वोटिंग घटी है।
इस बार तीसरी ताकत आम आदमी पार्टी के आने से भी भाजपा-कांग्रेस की सीटें घट-बढ़ सकती हैं। उधर, केबल ब्रिज हादसे के बाद चर्चा में आए मोरबी में 67.65% वोट पड़े हैं। यहां 2017 में 73.66% और 2012 में 74.9% वोटिंग हुई थी।
वर्ष | टर्नआउट | भाजपा | कांग्रेस | अन्य |
2007 | 61.00%* | 61 | 24 | 4 |
2012 | 72.37% | 63 | 22 | 4 |
2017 | 68.38% | 48 | 38 | 3 |
2022 | 62.92% | - | - | - |
32 पाटीदार सीटें: 2017 में भाजपा की सीटें 21 से घटकर 16 रह गई थीं
पहले चरण में कुल 32 सीटें पाटीदार बहुल हैं। इनमें 23 सीटें ऐसी हैं, जहां पाटीदार समुदाय 25% से 55% तक है। 2012 में 70.39% वोटिंग हुई थी। तब भाजपा ने 32 में से 21 जीती थीं। कांग्रेस को 9 सीटें मिली थीं। वहीं 2017 में 65.56% वाेटिंग होने पर भाजपा-कांग्रेस दोनों को 16-16 सीटें मिली थीं। इस बार 62.92% वोटिंग हुई है।
16 आदिवासी सीटें: 10 साल से घट रही वोटिंग, भाजपा को सीटों का नुकसान
89 सीटों में से 16 आदिवासी बहुल हैं। इनमें 14 एसटी रिजर्व हैं। 2012 से लगातार वोटिंग प्रतिशत गिर रहा है। 2012 में इन पर 78.97% वोटिंग पर भाजपा को 7, कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं। 2017 में 77.83% वोटिंग होने पर भाजपा को 5, कांग्रेस काे 7 सीटें मिली थीं। इस बार इन सीटों पर 69.86% वोटिंग हुई है।
सौराष्ट्र में दक्षिण गुजरात के मुकाबले 14 फीसदी कम वोटिंग
सौराष्ट्र-कच्छ में सिर्फ 58 फीसदी मतदान हुआ। वहीं, दक्षिण गुजरात में 66 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई है। इस तरह सौराष्ट्र में दक्षिण गुजरात के मुकाबले 8 फीसदी कम वोटिंग हुई है। यहां के 12 जिलों में सिर्फ मोरबी में ही 54% वोट पड़े हैं। बाकी के अन्य जिलों में 50% से भी कम वोटिंग हुई है। इस तरह पाटीदार क्षेत्र में कम मतदान ने कैंडिडेट्स को असमंजस में डाल दिया है।
पिछली बार ज्यादा वोटिंग वाली सीटों पर हुआ था कांग्रेस को फायदा
वहीं, अब पिछले चुनाव (2017) की बात करें तो इन सीटों पर कुल 67.23% वोट पड़े थे। इस दौरान जिन सीटों पर 70 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई थी, उनमें से ज्यादातर सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी। हालांकि वोट प्रतिशत में भाजपा ज्यादा पीछे नहीं थी।
70 फीसदी से ज्यादा मतदान वाली 27 सीटों में 14 कांग्रेस और 11 बीजेपी ने जीती थी
2017 के चुनाव में कपराडा, नीजर, मांडवी (एसटी), व्यारा, वांसदा, नंदोद, सोमनाथ, वंकानेर, टंकारा, जसदण, डांग्स, मोरबी, जंबुसर, तलाला में कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत मिली थी। वहीं, भाजपा ने जेतपुर (राजकोट), अंकलेश्वर, मांडवी, नवसारी, जलालपोर, धरमपुर, मंगरोल (एसटी), महुवा (एसटी), वागरा, गनदेवी, बरदोली सीटों पर अपना परचम लहराया था। वहीं अन्य दो सीटें डेडीआपाडा और झगडिया भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के खाते में गई थीं।
इन 89 सीटों पर ऐसा रहा था 2017 का रिजल्ट
भाजपा | 58 |
कांग्रेस | 26 |
बीटीपी | 2 |
निर्दलीय | 3 |
इस बार 788 उम्मीदवार मैदान में
राज्य के 19 जिलों में आने वाली इन सीटों पर 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले फेज में दो करोड़ से ज्यादा वोटर्स को अपने मत का इस्तेमाल करना था। पहले फेज की कुल 89 सीटों में से भाजपा के पास सबसे ज्यादा 58, कांग्रेस के पास 26 और BTP के पास 2, NCP के पास एक सीट है।
देखिए फर्स्ट फेज की वोटिंग की फोटोज...
नीचे दिए ग्राफिक के जरिए आप गुजरात चुनाव का पूरा शेड्यूल समझ सकते हैं....
पहले फेज की सात सीटों पर AAP का असर
पहले फेज की कुल 89 सीटों में से छह से सात सीटें ऐसी हैं, जहां केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यानी AAP का असर है। इनमें से छह सीटें सूरत जिले की हैं। वहीं, एक सीट द्वारका जिले में है। द्वारका की खंभालिया सीट से AAP के CM कैंडिडेट ईशुदान गढ़वी मैदान में हैं।
पुल हादसे से चर्चा में आई मोरबी में वोटिंग
पुल हादसे के चलते चर्चा में आए मोरबी जिले की तीन सीटों मोरबी, टंकारा और वांकानेर पर आज वोटिंग हुई। इन सीटों पर चुनावी हार-जीत का आंकड़ा देखें, तो 1962 से लेकर अब तक छह बार भाजपा और पांच बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। दो बार निर्दलीय कैंडिडेट जीते हैं।
पिछले चुनाव यानी 2017 की बात करें तो पाटीदार प्रभावित मोरबी सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले ब्रजेश मेरजा ने पार्टी बदल ली थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। हालांकि, इस बार भाजपा ने ब्रजेश मेरजा को टिकिट नहीं दिया है और ब्रिज हादसे में लोगों की जान बचाने वाले कांतिलाल अमृतिया को चुनाव मैदान में उतारा है।
मोदी की सीट राजकोट पर भी आज हुआ मतदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट राजकोट पश्विम पर भी पहले फेज में वोटिंग हो रही है। मोदी ने 2002 में राजकोट पश्विम से चुनाव लड़ा था। तब वे 14 हजार वोट से जीते थे। 2002 के बाद दो बार भाजपा से वजुभाई वाला और एक बार विजय रूपानी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। लोहाना, ब्राह्मण, पाटीदार और जैन समाज के असर वाली इस सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने डॉ. दर्शिता शाह को उतारा है।
गुजरात चुनाव से जुड़े रोचक फैक्ट्स
नीचे दिए ग्राफिक के जरिए आप गुजरात में पिछले दो विधानसभा चुनाव में अलग-अलग पार्टियों को मिलीं सीटों को समझ सकते हैं...
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