गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी का केबल ब्रिज गिरने से मरने वालों की संख्या 135 हो चुकी है। इनमें 50 से ज्यादा बच्चे हैं। मौत के इन डराने वाले आंकड़ों के बीच इस घटना के जिम्मेदारों को बचाने का खेल भी शुरू हो गया है। सोमवार को पुलिस ने इस केस में जिन 9 लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें ओरेवा के दो मैनेजर, दो मजदूर, तीन सिक्योरिटी गार्ड और दो टिकट क्लर्क शामिल हैं।
पुलिस की FIR में न तो पुल को ऑपरेट करके पैसे कमाने वाली ओरेवा कंपनी का जिक्र है, न रेनोवेशन का काम करने वाली देवप्रकाश सॉल्युशन का। पुल की निगरानी के लिए जिम्मेदार मोरबी नगर पालिका के इंजीनियरों का भी नाम इसमें नहीं है। यानी केवल छोटे कर्मचारियों को हादसे का जिम्मेदार ठहराकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।
एक झटके में 135 जानें लेने वाले इस हादसे को लेकर अफसर कितने गंभीर हैं, इसकी बानगी यह है कि राज्य सरकार ने जांच के लिए जिन 5 अधिकारियों की कमेटी बनाई थी, उसने भी महज 25 मिनट में अपनी जांच पूरी कर ली। आइए आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि मोरबी हादसे के ये गुनहगार कौन हैं...
एग्रीमेंट में मुनाफे पर फोकस, जिम्मेदारियों से किनारा
सस्पेंशन पुल को ऑपरेट करने के लिए ओरेवा कंपनी और मोरबी नगर पालिका के बीच 6 मार्च 2022 को जो एग्रीमेंट हुआ था, उसकी कॉपी दैनिक भास्कर के पास है। 300 रुपए के स्टांप पेपर पर हुए एग्रीमेंट में लिखा है कि कंपनी टिकट की दर बढ़ा सकेगी, पुल का कॉमर्शियल इस्तेमाल कर सकेगी और इसमें सरकारी एजेंसियों का दखल नहीं होगा। तीन पेज के एग्रीमेंट में इस बात का जिक्र कहीं नहीं है कि हादसा होने की स्थिति में कौन जिम्मेदार होगा।
एग्रीमेंट की शर्तें तोड़कर महंगे टिकट बेचे
मोरबी नगरपालिका के साथ ओरेवा के समझौते के मुताबिक मरम्मत पूरी होने के बाद पुल को खोला जाना था। इस ब्रिज पर मार्च 2023 तक वयस्कों से 15 रुपए और बच्चों से 10 रुपए टिकट लेने का प्रावधान था। साल 2023-24 से हर साल टिकट में 2 रुपए बढ़ाए जाने थे, लेकिन ओरेवा ने पुल खुलते ही ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बड़ों के लिए 17 रुपए और बच्चों के लिए 12 रुपए का टिकट बेचना शुरू कर दिया।
टिकट में नगर पालिका के नाम का जिक्र तक नहीं
नियम के मुताबिक, जब कोई सरकारी संपत्ति किसी निजी कंपनी को संचालन के लिए दी जाती है, तो उस पर मालिकाना हक सरकारी संस्था के पास ही रहता है। जैसे, हाईवे पर टोल वसूली निजीं कंपनियां करती हैं, लेकिन रसीद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के नाम से ही जारी की जाती है। मोरबी के सस्पेंशन ब्रिज के मामले में ऐसा नहीं था। पुल और टिकट दोनों पर मोरबी नगर पालिका का जिक्र तक नहीं था।
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हादसे के तीसरे दिन मोदी मोरबी पहुंचे, घायलों और परिजन से मुलाकात की
गुजरात में ब्रिज हादसे के दो दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोरबी पहुंचे। वे सिविल अस्पताल में घायलों से मिले। इसके बाद हादसे में जान गंवाने वालों के परिजन से मुलाकात की। अस्पताल परिसर में उन्होंने राहत और बचाव कार्य में लगी सेना, NDRF, SDRF की टीमों और स्थानीय लोगों से बातचीत कर हालात का जायजा लिया। पहले उन्होंने घटना वाली जगह पर मच्छू नदी पर टूटे ब्रिज का मुआयना किया। मंगलवार को दिनभर चले घटनाक्रम विस्तर से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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