रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में जन्मी, मद्रास में पली-बढ़ी और स्कूल व कॉलेज एजुकेशन पूरी की। फिर, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) नई दिल्ली से एमफिल में टॉप किया। बात यहीं तक नहीं थमी। पीएचडी की, विदेश से डॉक्टोरल डिप्लोमा लिया और तमाम रिसर्च पेपर पर काम करते हुए पुणे यूनिवर्सिटी में पढ़ाया। यह परिचय उस महिला शख्सियत प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित का है जिन्होंने हाल ही में प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की कमान अपने हाथ में ली है। ऐसा पहली बार है जब कोई महिला जेएनयू की वाइस चांसलर के तौर पर कार्यरत हुई हैं।
टीचिंग में 34 साल से ज्यादा का अनुभव
अभी तक सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी में पॉलिटिक्स और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन पढ़ा रही प्रोफेसर शांतिश्री कई और यूनिवर्सिटीज में भी पढ़ा चुकी हैं। इनमें गोवा यूनिवर्सिटी, ओस्मानिया यूनिवर्सिटी, रक्षाशक्ति यूनिवर्सिटी और मद्रास यूनिवर्सिटी शामिल हैं।
टीचिंग के क्षेत्र में उनका 34 साल से ज्यादा का अनुभव हो चुका है। इसके अलावा वह केंद्र सरकार की कई अहम समितियों में भी शामिल रही हैं। अंतराष्ट्रीय विषयों पर बेहतरीन पकड़ रखने वाली प्रोफेसर ने कई रिसर्च प्रॉजेक्ट्स में महती भूमिका अदा की। दुनिया के कई नामी संस्थानों में उनकी फेलोशिप है। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें कई सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है।
मां प्रोफेसर थीं तो पिता सिविल सर्वेंट
प्रोफेसर पंडित के पिता सिविल सर्विसिज में थे। मां लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) ओरियंटल फैकल्टी डिपार्टमेंट में तमिल और तेलुगू की प्रोफेसर थीं। JNU की पहली महिला वीसी का पदभार संभालने के बाद शांतिश्री ने कहा- मेरा पहला फोकस कैंपस को स्टूडेंट्स फ्रेंडली और जेंडर सेंसेटिव बनाने पर है।
9 भाषाओं में माहिर और कई किताबों की लेखिका
प्रो. शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित तेलुगु, तमिल, मराठी, हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, कन्नड, मलयालम और कोकणी भाषा अच्छी तरह जानती हैं। वे कई किताबें भी लिख चुकी हैं। इनमें पार्लियामेंट एंड फॉरेन पॉलिसी इन इंडिया, रिस्ट्रक्चरिंग एन्वायरनमेंटल गवर्नेंस इन एशिया-इथिक्स एंड पॉलिसी शामिल हैं।
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