उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की ओर से चुनाव मैदान में उतरीं मार्गरेट अल्वा का कहना है कि राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू इतनी अच्छी प्रत्याशी थीं कि अगर इस चुनाव में मतदान का उनको हक होता तो वह मुर्मू को ही वोट देतीं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी को चुनकर देश ने आदिवासी समाज को आवाज दी है। उनको हमेशा हकों के लिए लड़ना पड़ा है।
करीब 30 साल सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल रह चुकीं अल्वा ने भास्कर को दिए इंटरव्यू में कहा कि देश के सामने पहली महिला उपराष्ट्रपति चुनने का ऐतिहासिक अवसर आया है। उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 6 अगस्त को होना है।
समर्थन काे लेकर आपको क्या उम्मीद है?
जिस तरह लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर भारी मतदान किया, वैसा ही समर्थन वे उपराष्ट्रपति चुनाव में दक्षिण की एक महिला के पक्ष में करेंगे। मैं लोकसभा और राज्यसभा की हर महिला सांसद को निजी तौर पर पत्र लिखकर उनसे वोट की अपील करूंगी।
संसद में इस समय 100 से अधिक महिला सदस्य हैं और मुझे उम्मीद है कि उनका खुले दिल से वोट और समर्थन मिलेगा। यह प्रधानमंत्री और देश के लिए गौरव की बात होगी कि दो सर्वोच्च पदों पर सक्षम महिलाएं होंगी। मैं राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन काे सफलता से चलाकर सरकार की मदद ही करूंगी।
सत्तापक्ष उम्मीदवार धनखड़ के बारे में क्या कहेंगी?
मैं भी गवर्नर रही हूं, वह भी रहे हैं। मैं वकील हूं, वे भी रहे हैं, लेकिन गवर्नर रहते हुए मेरा और उनका ट्रैक रिकॉर्ड देख लीजिए। मैंने अपने लिए लक्ष्मण रेखा तय की है। राजभवन के दरवाजे सबके लिए खुले रखे और उसे कभी पार्टी ऑफिस नहीं बनने दिया।
आप देख सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा था, जहां धनखड़ राज्यपाल रहे, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वहां भी वह एक महिला (ममता बनर्जी) से लड़ रहे थे और यहां भी वे महिला से ही लड़ने को विवश हैं। लगता है उनकी किस्मत में महिलाओं से टकराव लिखा है।
सत्तापक्ष और विपक्ष में सामंजस्य की चुनौती काे कैसे देखती हैं?
मैं चुनी गई तो मतभेदों को दूर करने के लिए एक पुल के तौर पर काम करूंगी। मेरा हमेशा से आम सहमति बनाकर काम करने में यकीन रहा है, आगे भी रहेगा।
TMC चुनाव से दूर रहने का मन बना रही है?
ममता बनर्जी मेरी पुरानी दोस्त हैं। हमने साथ काम किया है। मुझे यकीन है कि मैं उन्हें मना लूंगी, क्योंकि ऐसा कोई कारण नहीं नजर आता कि वे किसी भी तरह से भाजपा के उम्मीदवार की मदद करें।
अल्पसंख्यक हाेने के सवाल पर?
मैं देश की नागरिक हूं। मैं इस चुनाव को धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा और दलगत राजनीति के दायरों को तोड़ने के तौर पर देखना चाहती हूं।
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