कोविड महामारी की वजह से एशिया की दो बड़ी ताकतों भारत और चीन का हिंद और प्रशांत महासागर में असर कम हुआ है। यह दावा ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में किया है। इसके मुताबिक, भारत और चीन का बाहरी दुनिया और अपने क्षेत्र में प्रभाव कम हुआ, जबकि अमेरिका ने बेहतरीन डिप्लोमैसी के जरिए अपनी पकड़ मजबूत की है। उसका इस क्षेत्र के देशों पर प्रभाव बढ़ा है।
क्या है रिपोर्ट में
लोवी इंस्टीट्यूट ने एशियन पॉवर इंडेक्स 2021 टाइटिल से रिपोर्ट जारी की है। इसमें चीन को लेकर अहम टिप्पणी है। रिपोर्ट में कहा गया है- महामारी के बाद चीन फंसा हुआ है। कूटनीति और आर्थिक मोर्चे पर उसे अलग-थलग किया गया है। यही उसके पिछड़ने की वजह है। भारत इस क्षेत्र की चौथी बड़ी ताकत है। यहां पहले से अमेरिका, जापान और चीन मौजूद हैं। वो विकास की उस रफ्तार को नहीं पकड़ पाया है जो महामारी के पहले थी। एक साल में उसका भी कूटनीतिक और आर्थिक प्रभाव कम हुआ है। हालांकि, भारत पहले भी चौथे स्थान पर था और आज भी वहीं है।
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अमेरिका ने रफ्तार पकड़ी
एशियाई ताकतों के तगड़े वजूद के बावजूद हिंद और प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव फिर तेजी से बढ़ा है। इसकी वजह जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन की मजबूत डिप्लोमैसी है। अमेरिका ने महामारी से उबरने के बाद तेज रिकवरी की है। आर्थिक तौर पर भी रफ्तार पकड़ चुका है। डोनाल्ड ट्रम्प के दौर में यह काम मुश्किल नजर आ रहा था। इंडेक्स के आठ में से छह पॉइंट्स में अमेरिका ही सबसे ज्यादा मजबूत है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब भी अमेरिका पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं है। इसके बावजूद वो चीन को मिलिट्री और स्ट्रैटेजिक लिहाज से कड़ी चुनौती पेश कर रहा है और उसके बराबर खड़े होने की कोशिश कर रहा है।
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जंग का खतरा
रिपोर्ट में आगे कहा गया- इस क्षेत्र में कई ऐसी बातें है जो सिक्योरिटी से जुड़ी हैं और इस मामले में तय कुछ भी नहीं है। लिहाजा, यहां कुछ हद तक जंग का खतरा है। अमेरिका को चीन से चुनौती मिल रही है। भारत और जापान पर महामारी का असर ज्यादा हुआ है। भारत को जितना रिकवर करना चाहिए था, उतना वो कर नहीं पाया। चीन की बराबरी करने में उसे दशक भी लग सकते हैं। जापान के पास रिर्सोसेज कम थे, इसके बावजूद उसने इनका बेहतरीन इस्तेमाल किया।
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