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पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को इमरान सरकार ने गुरुवार को दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस तो दिया, लेकिन यह महज दिखावा ही साबित हुआ। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कुलभूषण से अफसरों की मुलाकात की जानकारी साझा की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह बिना शर्त और बिना रुकावट वाली मुलाकात नहीं थी। कुलभूषण के चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था।
पाकिस्तान के दिखावे पर विदेश मंत्रालय का खुलासा
अंग्रेजी में बात करने की शर्त रखी थी
पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायोग को दूसरी बार राजनयिक पहुंच की इजाजत दी है। जाधव से मुलाकात के लिए पाकिस्तान ने अंग्रेजी में बात करने की शर्त रखी थी। कहा था कि इस दौरान पाकिस्तानी अफसर भी मौजूद रहेंगे। इससे पहले 2 सितंबर 2019 को पाकिस्तान ने जाधव को पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस दिया था। उस वक्त इस्लामाबाद में भारत के उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया ने उनसे मुलाकात की थी।
विरोध जताने के बाद लौट आए भारतीय अफसर
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय अफसर पाकिस्तान के इस व्यवहार पर अपना विरोध दर्ज कराकर लौट आए। साफ है कि कुलभूषण के मामले में पाकिस्तान की सोच असंवेदनशील और अड़ंगा डालने वाली ही है। विदेश मंत्री ने इस मुलाकात के बारे में कुलभूषण जाधव के परिवार को बता दिया है। हम एक बार फिर से दोहरा रहे हैं कि कुलभूषण की सुरक्षित भारत वापसी के लिए हम कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे।
जाधव की सुरक्षित वापसी के लिए हर संभव कोशिश
भारत ने पिछले हफ्ते कहा था कि हम कुलभूषण जाधव की सुरक्षित वापसी के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। हम अपने सभी विकल्पों पर विचार करेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कहा था कि हम डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए कोशिश कर रहे हैं कि पाकिस्तान इंटरनेशनल कोर्ट के आदेश को लागू करे। पर उसका मीडिया जो खबरें दे रहा है, उससे जाहिर है कि पाकिस्तान सरकार आईसीजे के फैसले को लागू करने में आनाकानी कर रही है।
2017 में सुनाई गई थी फांसी की सजा
कुलभूषण को मार्च 2016 में पाकिस्तान ने गिरफ्तार किया था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि जाधव को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया। भारत ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया है। 2017 में पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने जाधव को जासूसी के आरोप में फांंसी की सजा का ऐलान किया। इसके खिलाफ भारत ने 2017 में ही इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपील दायर की।
आईसीजे ने जुलाई 2019 में पाकिस्तान को जाधव को फांसी न देने और सजा पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया। तब से अब तक पाकिस्तान ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।
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